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Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक सेना के जवान के साथ टोल प्लाजा पर हुए विवाद ने एक बार फिर इस बहस को हवा दे दी है कि आखिरकार सैनिकों को टोल टैक्स से राहत मिलती है या नहीं? सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं और आम जनमानस में फैली धारणाओं के बीच, इस सवाल का सीधा और स्पष्ट जवाब जानना बेहद जरूरी हो गया है।
कई लोगों को लगता है कि देश की सेवा में तैनात जवानों को हर हाल में टोल टैक्स नहीं देना पड़ता, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि उन्हें कोई विशेष छूट नहीं दी जाती। लेकिन सच्चाई दोनों विचारों से थोड़ी अलग और कानूनी रूप से निर्धारित है।
कब नहीं देना पड़ता टोल टैक्स?
अगर कोई सैनिक अपने सरकारी कामकाज के सिलसिले में ड्यूटी पर है और वह सेना के आधिकारिक वाहन में यात्रा कर रहा है, तो उसे टोल टैक्स से पूरी तरह छूट मिलती है। ये छूट The Indian Tolls (Army and Air Force) Act, 1901 के तहत दी जाती है। ऐसे में जवान को अपनी पहचान के साथ-साथ ड्यूटी से जुड़े जरूरी दस्तावेज टोल प्लाजा पर दिखाने होते हैं।
निजी वाहन और छुट्टी के दिन – कोई रियायत नहीं
यह भ्रम दूर करना जरूरी है कि सिर्फ यूनिफॉर्म में होने या सेना का पहचान पत्र दिखाने से कोई भी जवान टोल देने से बच सकता है। अगर सैनिक निजी गाड़ी में हैं और किसी सरकारी मिशन पर नहीं हैं, तो उन्हें आम नागरिक की तरह टोल चुकाना होता है। इस स्थिति में उन्हें कोई विशेष रियायत नहीं दी जाती। नेशनल हाईवे फ्री रूल्स, 2008 में यह बात स्पष्ट रूप से दर्ज है।
रियायत के लिए कौन से डॉक्युमेंट जरूरी हैं?
जब कोई जवान ड्यूटी पर होते हुए टोल छूट का दावा करता है, तो उसे कुछ आवश्यक कागज़ात दिखाने होते हैं:
वैध ड्यूटी ऑर्डर या ट्रांजिट पास
यूनिट की तरफ से जारी अधिकृत पत्र
सेना का आधिकारिक पहचान पत्र
इन दस्तावेजों के बिना टोल छूट नहीं दी जा सकती, चाहे व्यक्ति वर्दी में हो या न हो।
क्या रिटायर्ड सैनिकों को भी राहत मिलती है?
यह भी एक आम सवाल है और इसका उत्तर सीधा है नहीं। जो सैनिक सेवा से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उन्हें किसी भी परिस्थिति में टोल टैक्स से छूट नहीं मिलती। यह सुविधा सिर्फ एक्टिव ड्यूटी पर तैनात जवानों के लिए है, वो भी कुछ शर्तों के अधीन।
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