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Up Kiran, Digital Desk: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने अपने मुखपत्र 'सामना' के जरिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और उसके प्रमुख मोहन भागवत पर अब तक का शायद सबसे तीखा हमला बोला है। मोहन भागवत के 'अखंड भारत' वाले बयान पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने कहा है कि भाषण देना बंद कीजिए, अगर हिम्मत है तो पहले चीन के कब्जे वाली भारतीय जमीन को आजाद कराकर दिखाइए।

क्या कहा गया है 'सामना' में: 'सामना' के संपादकीय में RSS को सीधे तौर पर चुनौती दी गई है।

RSS को बताया 'बिना हथियार वाली सेना': लेख में RSS पर तंज कसते हुए उसे "बिना गोली-बारूद वाली सेना बताया गया है, जो मोदी राज आने के बाद से खुद को भारतीय सेना समझने का दिखावा कर रही है।"

आजादी की लड़ाई पर सवाल: शिवसेना ने सवाल उठाया कि भारत की आजादी की लड़ाई में इन लोगों का कोई योगदान नहीं था। इनके किसी भी नेता के जेल जाने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। फिर भी भागवत दावा करते हैं कि RSS के स्वयंसेवक सेना से ज्यादा तेज हैं और तीन दिन में तैयार हो सकते हैं।

"अगर इतने ही काबिल हो, तो सीमा पर क्यों नहीं जाते?": संपादकीय में पूछा गया है कि अगर RSS की सेना इतनी ही बहादुर है, तो ये लोग हिंदुत्व का जहर बोने के बजाय लेह-लद्दाख जाकर चीन से हमारी जमीन क्यों नहीं छुड़ाते? अगर ये सीमा पर होते तो पुलवामा, उरी जैसे हमले ही नहीं होते।

'अखंड भारत' सिर्फ आपका सपना नहीं

शिवसेना ने आगे लिखा कि अखंड भारत सिर्फ RSS का नहीं, बल्कि हर भारतीय का सपना है। बंटवारे का सबसे बड़ा दर्द सिंधी समुदाय ने झेला। BJP और संघ परिवार हिंदुत्व के नाम पर इन जख्मों को सिर्फ कुरेदते हैं, लेकिन करते कुछ नहीं।

11 साल से सत्ता में, फिर भी कुछ नहीं किया: लेख में कहा गया कि पिछले 11 साल से देश की पूरी ताकत और सेना संघ परिवार के ही हाथ में है। प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सभी RSS के स्वयंसेवक हैं। फिर भी ये लोग पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (PoK) या सिंध का एक इंच हिस्सा भी भारत में वापस नहीं ला पाए, लेकिन अखंड भारत पर भाषण अंतहीन हैं।

अमेरिका के दबाव में झुकी सरकार?: 'सामना' ने यह भी आरोप लगाया कि पुलवामा हमले के बाद मोदी और राजनाथ सिंह ने लाहौर-कराची में घुसने की बड़ी-बड़ी बातें की थीं, लेकिन तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के एक आदेश पर भारतीय सेना को पीछे हटना पड़ा।

अंत में शिवसेना ने भागवत से सीधा सवाल पूछा है - "क्या आप सिर्फ अखंड भारत पर भाषण ही देंगे या अपने स्वयंसेवकों (मोदी-शाह) से यह भी पूछेंगे कि उन्होंने PoK को वापस लाने के लिए क्या किया?"

यह संपादकीय RSS और BJP के राष्ट्रवाद की परिभाषा पर एक सीधा और तीखा हमला है।