
Up Kiran, Digital Desk: नई दिल्ली: वैश्विक मंदी और जियो-पॉलिटिकल तनाव से जूझ रहे भारतीय केमिकल उद्योग को सरकार से एक बड़ी राहत मिली है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए एडवांस ऑथराइजेशन (advance authorizations) के तहत निर्यात की शर्तों को पूरा करने की समय सीमा को 12 महीने से बढ़ाकर 18 महीने कर दिया है।
क्या थी समस्या और क्यों ज़रूरी था यह फैसला?
सरकार की एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम्स के तहत जो निर्यातक ड्यूटी-फ्री माल का आयात करते हैं, उन्हें एक निश्चित समय के अंदर निर्धारित मूल्य का माल एक्सपोर्ट करना होता है। केमिकल इंडस्ट्री के लिए यह समय सीमा पहले 12 महीने थी।
लेकिन पिछले कुछ समय से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रही मंदी, रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे जियो-पॉलिटिकल तनाव और सप्लाई चेन की दिक्कतों के कारण भारतीय निर्यातकों को विदेशों से ऑर्डर मिलने और माल भेजने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। इसके चलते उनके लिए 12 महीने के अंदर अपना एक्सपोर्ट टारगेट पूरा करना लगभग नामुमकिन हो गया था और उन पर भारी जुर्माना लगने का खतरा मंडरा रहा था।
इंडस्ट्री ने किया फैसले का स्वागत
इंडस्ट्री ने इस समस्या को लेकर सरकार से राहत की मांग की थी, जिसे अब मान लिया गया है। केमिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (CHEMEXCIL) ने सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि यह एक बहुत ही ज़रूरी और समय पर लिया गया फैसला है।
CHEMEXCIL के मुताबिक, 6 महीने की इस अतिरिक्त मोहलत से निर्यातकों को अपना एक्सपोर्ट टारगेट पूरा करने में काफी मदद मिलेगी। वे बिना किसी तनाव के अपने ऑर्डर्स को मैनेज कर पाएंगे, जिससे न सिर्फ उन्हें वित्तीय नुकसान से बचाया जा सकेगा, बल्कि देश के केमिकल निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।
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