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Up Kiran, Digital Desk: मलेशिया सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए घोषणा की है कि साल 2026 से 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नया खाता बनाने की इजाजत नहीं मिलेगी। फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक, एक्स और यूट्यूब जैसे ऐप्स पर यह पाबंदी लागू होगी। संचार मंत्री फहमी फादजिल के मुताबिक यह कदम बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और ऑनलाइन सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया गया है।

दुनिया भर में बढ़ती चिंता का जवाब

पिछले कुछ सालों में दुनिया के कई कोने से यह आवाज उठ रही थी कि सोशल मीडिया बच्चों पर गलत असर डाल रहा है। साइबर बुलिंग, ऑनलाइन शोषण, नींद की कमी और डिप्रेशन जैसे मामले तेजी से बढ़े हैं। मलेशिया ने अब इसे गंभीरता से लेते हुए कानूनी रूप से उम्र सीमा तय कर दी है। सरकार का कहना है कि इंटरनेट तेज तो होना चाहिए लेकिन बच्चों के लिए खतरनाक नहीं।

सोशल मीडिया कंपनियों पर दबाव

सरकार ने साफ निर्देश दे दिया है कि सभी प्लेटफॉर्म्स को उम्र की पुष्टि करने वाला मजबूत सिस्टम बनाएं। अगर कोई कंपनी 16 साल से कम उम्र वाले बच्चे को अकाउंट देती पाई गई तो उस पर कड़ी कार्रवाई होगी। मलेशिया इस मामले में ऑस्ट्रेलिया के मॉडल को बारीकी से देख रहा है।

दूसरे देश भी पीछे नहीं

  • ऑस्ट्रेलिया में 10 दिसंबर 2025 से 16 साल से कम उम्र वालों के लिए सोशल मीडिया पूरी तरह बंद हो जाएगा। पुराने अकाउंट भी डिलीट कर दिए जाएंगे और उल्लंघन पर लाखों डॉलर का जुर्माना लगेगा।
  • डेनमार्क 15 साल से कम उम्र पर पूरी पाबंदी लगाने की तैयारी कर रहा है।
  • नॉर्वे न्यूनतम उम्र 15 साल करने जा रहा है।
  • इंडोनेशिया और न्यूजीलैंड भी जल्द ही इसी तरह के कानून लाने वाले हैं।
  • नीदरलैंड्स में सरकार ने अभिभावकों से अपील की है कि 15 साल से छोटे बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखें।
  • भारत में अभी तक ऐसा कोई सरकारी नियम नहीं है। यहाँ प्लेटफॉर्म्स खुद 13 साल की उम्र सीमा रखते हैं।

अभिभावकों और बच्चों पर क्या असर?

अब मलेशिया के माता-पिता को राहत की सांस ले सकते हैं कि उनके छोटे बच्चे रात-रात भर स्क्रॉल नहीं करेंगे। लेकिन दूसरी तरफ कई किशोर इसे अपनी आजादी पर हमला भी मान रहे हैं। आने वाले दिनों में देखना होगा कि यह नियम कितना कारगर साबित होता है और क्या बच्चे कोई दूसरा रास्ता निकाल लेते हैं।