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Up Kiran, Digital Desk: मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर निर्माण के उद्घाटन के दौरान एक ऐतिहासिक बयान दिया। भागवत ने कहा कि जो लोग राम मंदिर के निर्माण के लिए संघर्ष करते हुए शहीद हुए थे, उनकी आत्मा को अब शांति मिली होगी। उन्होंने विशेष रूप से उन व्यक्तियों को याद किया जिन्होंने राम मंदिर के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।

भागवत ने कहा, "आज का दिन हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस मंदिर के निर्माण के लिए अनगिनत लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। आज उनकी आत्मा को शांति मिली होगी। विशेष रूप से अशोक सिंघल, महंत रामचंद्र दास जी महाराज और वरिष्ठ नेता विष्णु हरि डालमिया जैसे महान लोग जो इस संघर्ष के साक्षी थे, आज इस क्षण को महसूस कर रहे होंगे।"

उन्होंने यह भी कहा कि यह अवसर केवल उन लोगों के लिए नहीं है जो इस संघर्ष में शारीरिक रूप से शामिल हुए, बल्कि उन सभी के लिए है जिन्होंने वर्षों तक इस मंदिर के निर्माण का सपना देखा। भागवत ने यह भी बताया कि उन लोगों की यादों में यह क्षण हमेशा जीवित रहेगा जिन्होंने इस मंदिर के निर्माण के लिए लंबे समय तक काम किया।

500 साल के संघर्ष के बाद हुआ यह ऐतिहासिक क्षण

आरएसएस प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि राम मंदिर का निर्माण केवल एक इमारत नहीं, बल्कि यह सत्य और धर्म का प्रतीक बन गया है। उन्होंने बताया, "हिंदू समाज ने 500 साल के संघर्ष के बाद अपना 'सत्व' सिद्ध किया है। यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दुनिया को सत्य और धर्म का संदेश देने वाला एक आदर्श बन गया है।"

भागवत ने यह भी कहा कि यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह हिंदू धर्म के लिए एक प्रतीक बन चुका है। "यह मंदिर एक मिशन बन चुका है, जो दुनिया में धर्म, ज्ञान और सत्य का प्रसार करेगा।"

नए संकल्प का समय: भारत को दुनिया के सामने सत्य का प्रतीक बनाना है

मोहन भागवत ने इस अवसर पर देशवासियों से एक नया संकल्प लेने की अपील भी की। उन्होंने कहा, "आज का दिन कृतज्ञता का दिन है। हमें अपने पूर्वजों से मिले इस संकल्प को नवीनीकरण करना है। यह सिर्फ एक मंदिर का निर्माण नहीं है, यह हमारे राष्ट्रीय धर्म का और हमारे ऐतिहासिक धरोहर का सम्मान है।"