
Up Kiran, Digital Desk: आजकल युवाओं के बीच क्रेडिट कार्ड का क्रेज सिर चढ़कर बोल रहा है। ऑनलाइन शॉपिंग के ललचाने वाले ऑफर्स हों या अचानक पैसों की जरूरत, क्रेडिट कार्ड कई लोगों के लिए एक 'काम की चीज़' बन गया है। अगर आप भी अपने लिए एक क्रेडिट कार्ड बनवाने की सोच रहे हैं, तो रुकिए! कुछ ऐसी ज़रूरी बातें हैं जिन्हें जानना आपके लिए बेहद फायदेमंद होगा, वरना बाद में मुश्किल हो सकती है। आइए, समझते हैं क्या हैं वो:
क्रेडिट लिमिट (खर्च करने की ऊपरी सीमा):
हर क्रेडिट कार्ड की एक तय सीमा होती है कि आप उससे कितना खर्च कर सकते हैं, इसे 'क्रेडिट लिमिट' कहते हैं। यह बहुत ज़रूरी है कि आप हमेशा इस लिमिट के अंदर ही खर्च करें। उदाहरण के लिए, अगर आपके कार्ड की लिमिट ₹5 लाख है, तो आपका कुल खर्च ₹5 लाख से ज़्यादा कभी नहीं होना चाहिए। इसे अपनी 'औकात' समझकर चलें तो बेहतर है (मजाक में, पर बात सच्ची है!)।
क्रेडिट कार्ड यूटिलाइजेशन रेश्यो
यह एक थोड़ा टेक्निकल शब्द है, लेकिन समझना आसान है। इसका मतलब है कि आप अपनी कुल क्रेडिट लिमिट का कितना हिस्सा इस्तेमाल कर रहे हैं। वित्तीय सलाहकार हमेशा इसे 30% से कम रखने की सलाह देते हैं। जैसे, अगर आपकी लिमिट ₹10 लाख है, तो कोशिश करें कि आप ₹3 लाख से ज्यादा का इस्तेमाल न करें। इससे आपका वित्तीय स्वास्थ्य अच्छा रहता है और बैंक की नजर में आपकी साख बनी रहती है।
क्रेडिट स्कोर (आपकी वित्तीय साख):
यह आपके वित्तीय व्यवहार का 'रिपोर्ट कार्ड' जैसा है। अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड के बिल समय पर और पूरे चुकाते हैं, तो आपका क्रेडिट स्कोर शानदार होता जाता है। एक अच्छा क्रेडिट स्कोर भविष्य में बड़े लोन (जैसे होम लोन, कार लोन) आसानी से मिलने और आपके कार्ड की लिमिट बढ़ने में भी मदद करता है। सोचिए, अगर आज आपकी लिमिट ₹5 लाख है, और आप हमेशा समय पर बिल भरते हैं, तो बैंक खुशी-खुशी इसे ₹7.5 लाख या उससे भी ज़्यादा कर सकता है!
ब्याज मुक्त अवधि (बिना ब्याज के मोहलत):
यह क्रेडिट कार्ड का एक बड़ा फायदा है! जब आप क्रेडिट कार्ड से कुछ खरीदते हैं, तो आपको बिल चुकाने के लिए लगभग 45 दिनों का समय बिना किसी ब्याज के मिलता है। अगर आप इस 'इंटरेस्ट-फ्री पीरियड' में पूरी बकाया रकम चुका देते हैं, तो आपको एक पैसा भी ब्याज नहीं देना पड़ता। लेकिन ध्यान रहे, यह मोहलत खत्म होने के बाद बकाया रकम पर भारी ब्याज लगना शुरू हो जाता है।
मिनिमम ड्यू (न्यूनतम देय) बनाम टोटल ड्यू (कुल बकाया):
जब आपके क्रेडिट कार्ड का बिल आता है, तो उसमें दो ऑप्शन दिखते हैं: 'मिनिमम ड्यू' (न्यूनतम देय राशि) और 'टोटल ड्यू' (कुल बकाया राशि)। कई लोग सिर्फ मिनिमम ड्यू भरकर निश्चिंत हो जाते हैं, लेकिन यह एक बड़ी गलती है! हमेशा, जी हाँ, हमेशा पूरी बकाया राशि यानी टोटल ड्यू चुकाने की कोशिश करें। अगर आप सिर्फ मिनिमम अमाउंट भरते हैं, तो बची हुई रकम पर बैंक भारी ब्याज वसूलता है, और आप कर्ज के जाल में फंस सकते हैं।
नकद निकासी (कैश निकालना):
भूलकर भी ये गलती न करें! वैसे तो क्रेडिट कार्ड से ATM की तरह कैश निकालने की सुविधा होती है, लेकिन इससे हमेशा बचना चाहिए। क्रेडिट कार्ड से कैश निकालने पर लगने वाला ब्याज बहुत-बहुत ज़्यादा होता है, और यह पहले दिन से ही लगना शुरू हो जाता है, साथ ही इस पर अलग से फीस भी लगती है। यह बिल्कुल भी समझदारी भरा कदम नहीं है और आपको बहुत महंगा पड़ सकता है।
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