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Up Kiran, Digital Desk: पाकिस्तान में कुछ उग्र समूह अब महिलाओं को सक्रिय भूमिका के लिए तैयार कर रहे हैं. यह बहस नई नहीं है. फिर भी हालिया फुटेज और अनाम जांचियों की जानकारी ने चिंता बढ़ा दी है. खुफिया सूत्रों का कहना है कि इन समूहों ने महिलाओं के लिए अलग पाठ्यक्रम बना लिए हैं. इनमें साफ शब्दों में भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुश्मन बताया जा रहा है.
फुटेज में दिखता है कि समूहों के नेतृत्वकर्ता खुले तौर पर युवतियों को कट्टर विचार देते हैं. वे इसे महिला सशक्तिकरण के नाम से छिपाते हैं. पर असल मंशा अलग दिखती है. प्रशिक्षण में विचारधारा सिखाई जा रही है. साथ में हिंसा और आत्मघाती हमलों की मनोवृत्ति पुख्ता की जा रही है.
कई जानकार बताते हैं कि यह रुख 26/11 जैसे हमलों के बाद और तेज हुआ है. जवाबी कार्रवाइयों के मद्देनजर प्रतिरोध तेज हुआ तो कुछ समूह ज़मीन बदलने लगे. अब वे शिक्षा, सामाजिक कार्य और राजनीतिक मंचों का सहारा लेकर नई भर्तियाँ कर रहे हैं. वे राजनीतिक संगठनों और छात्र या महिला लीग के बहाने अपना नेटवर्क बढ़ा रहे हैं.
एक रिपोर्ट के अनुसार सियालकोट और आसपास के इलाकों में प्रशिक्षण शिविर चल रहे हैं. इन शिविरों में महिलाओं को मानसिक रूप से तोड़ा जा रहा है. प्रशिक्षक जिहाद को धर्म का कर्तव्य बता रहे हैं. कुछ रिकॉर्डिंग में यह भी उजागर हुआ कि प्रशिक्षण केंद्रों पर सुरक्षा बलों की उपस्थिति से जुड़े प्रश्न उठते हैं. जांच अधिकारी इस पहलू की जाँच कर रहे हैं.
विश्लेषकों का कहना है कि यह केवल सैन्य या आतंकवादी समस्या नहीं है. यह सामाजिक और राजनीतिक खतरा है. जब महिलाओं को हथियार बनाने की बजाय घर और शिक्षा के माध्यम से कट्टरता सिखाई जाए तो वह समाज की छोटी इकाइयों में घुस जाती है. इस तरह के नेटवर्क लंबी अवधि में पीढ़ियों तक असर डाल सकते हैं.