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Up kiran Live , Digital Desk:  पहलगाम में सैलानियों पर हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। भारत जहां आतंकवाद के खिलाफ सख्त एक्शन की तैयारी कर रहा है, वहीं पाकिस्तान अपनी धरती पर पल रहे आतंकियों को बचाने में जुटा है। सबसे हैरानी की बात यह है कि खुद विदेशी मदद पर जिंदा पाकिस्तान अब भारत पर गीदड़भभकियां दे रहा है। लेकिन सवाल उठता है: क्या पाकिस्तान वाकई भारत से युद्ध लड़ने की स्थिति में है?

पाकिस्तान की आर्थिक हकीकत: बर्बादी के कगार पर

पाकिस्तान की मौजूदा आर्थिक स्थिति बेहद गंभीर है:

पाकिस्तान की जीडीपी सिर्फ 350 बिलियन डॉलर के आसपास है।

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के आंकड़ों के मुताबिक:

ग्रॉस पब्लिक डेट जीडीपी का 67.5% है।

सरकार पर कुल कर्ज (FRDLA) 61.6% है।

बाहरी कर्ज और देनदारी 34.5% है।

घरेलू कर्ज 44.7% तक पहुंच चुका है।

दिसंबर 2024 की तिमाही के आंकड़े बतातें हैं कि पाकिस्तान पर:

घरेलू कर्ज: 49,883 बिलियन रुपये

बाहरी कर्ज: 21,764 बिलियन रुपये

IMF कर्ज: 2,366 बिलियन रुपये

कुल ग्रॉस पब्लिक डेट: 74,013 बिलियन रुपये

यह तस्वीर साफ कर देती है कि पाकिस्तान पहले ही कर्ज के पहाड़ के नीचे दबा हुआ है।

युद्ध में खर्च: पाकिस्तान के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है

अगर पाकिस्तान भारत से युद्ध करने का दुस्साहस करता है, तो उसे हर दिन का खर्च उठाने के लिए तैयार रहना पड़ेगा।

अनुमान के मुताबिक, एक बड़े युद्ध में पाकिस्तान को रोजाना 500 मिलियन डॉलर से 1 बिलियन डॉलर तक का खर्च उठाना पड़ सकता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध और गाजा संघर्ष में भी युद्धरत देशों ने इसी रेंज में भारी खर्च झेला था।

पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था और विदेशी मदद पर निर्भरता को देखते हुए, इतने भारी खर्च का बोझ उठाना लगभग नामुमकिन है।

भारत के युद्ध खर्च का इतिहास क्या कहता है?

भारत भी युद्ध के दौरान बड़ा खर्च करता रहा है, लेकिन उसकी अर्थव्यवस्था कहीं ज्यादा मजबूत है:

कारगिल युद्ध (1999): प्रतिदिन 10 से 15 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।

2002-03 में सीमा तनाव: रोजाना 14.6 अरब रुपये का खर्च।

2016 में अनुमानित युद्ध खर्च: रोजाना 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा।

स्पष्ट है कि भारत के पास मजबूत आर्थिक बैकअप और वैश्विक समर्थन है, जबकि पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था संभालने में ही नाकाम हो रहा है।

पाकिस्तान के लिए युद्ध का मतलब: पूरी तरह से आर्थिक तबाही

लगातार गिरती विदेशी मुद्रा भंडार,

बढ़ता आंतरिक असंतोष,

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ना,

और लगातार बढ़ते कर्ज के बीच युद्ध करना पाकिस्तान को पूरी तरह से बर्बादी के रास्ते पर ले जाएगा।

युद्ध की धमकियां भले ही राजनीतिक बयानबाजी लगें, लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि पाकिस्तान अगर भारत से युद्ध में उलझता है तो उसे आर्थिक, सैन्य और कूटनीतिक हर मोर्चे पर करारी हार का सामना करना पड़ेगा।

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