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Up Kiran, Digital Desk: इंग्लैंड और भारत के बीच चल रहे टेस्ट सीरीज़ का चौथा मुकाबला भले ही ड्रॉ पर खत्म हुआ हो, लेकिन इस मैच में भारतीय बल्लेबाज़ों की मानसिक मजबूती और इंग्लैंड की चूकी रणनीति ने चर्चा का केंद्र बना दिया है। शुरुआती झटकों के बावजूद भारतीय टीम ने जिस तरह से वापसी की, उसने दर्शकों को न केवल चौंकाया बल्कि क्रिकेट के जज़्बे को नए मायने भी दिए।

0 पर दो विकेट: संकट या संकल्प?

टेस्ट का आगाज़ भारत के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा। पहले ही ओवर में यशस्वी जायसवाल और डेब्यू कर रहे साई सुदर्शन बिना खाता खोले पवेलियन लौट गए। स्कोरबोर्ड पर शून्य रन और दो विकेट देखकर भारतीय समर्थकों को 1983 की याद आ गई, जब वेस्टइंडीज के खिलाफ चेन्नई टेस्ट में टीम इंडिया ने 0/2 से शुरुआत करते हुए 451 रन ठोक डाले थे।

इस बार भी कहानी कुछ वैसी ही रही। लेकिन इस बार नायक बने राहुल, गिल, जडेजा और सुंदर — जिनकी बल्लेबाज़ी ने हालात को पलट कर रख दिया।

गिल और जडेजा ने सिखाया: मौके छोड़ोगे तो भुगतोगे

शुभमन गिल और रवींद्र जडेजा की पारियों को देखकर यही कहा जा सकता है कि इंग्लिश फील्डिंग की ढिलाई ने उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया। गिल को दो जीवनदान मिले — पहले 20 और फिर 82 के स्कोर पर। जडेजा का कैच तो पारी की पहली ही गेंद पर छूट गया था, और फिर दोनों ने अपने-अपने शतक से इंग्लैंड को कीमत चुकवा दी।

वहीं वाशिंगटन सुंदर ने भी अपने शांत और संयमित अंदाज़ से इंग्लैंड को परेशान किया। राहुल भले ही शतक से चूक गए, लेकिन उनके 90 रनों ने टीम की नींव मजबूत कर दी।

इंग्लैंड की रणनीति पर उठे सवाल

पहले ओवर में दो विकेट लेने के बाद इंग्लिश गेंदबाज़ों की धार पूरी तरह से कुंद हो गई। अगले 142 ओवरों में सिर्फ दो विकेट लेना उनकी रणनीति और गेंदबाज़ी आक्रमण की कमजोरी को उजागर करता है।

खासकर क्रिस वोक्स के शुरुआती स्पेल के बाद कोई गेंदबाज़ प्रभाव नहीं छोड़ पाया। न स्पिन काम आई, न ही रिवर्स स्विंग का कोई असर दिखा।

रिकॉर्ड बुक में जुड़ा एक और अध्याय

भारतीय टीम ने 0/2 के बाद 425 रन बनाकर इतिहास में अपना नाम दोहराया — 42 साल पहले की उपलब्धि की याद दिलाते हुए। इस तरह 0/2 के बाद 400 से अधिक रन बनाने वाली टीमों की सूची में भारत ने एक बार फिर जगह बनाई, और वो भी दो बार के रिकॉर्ड के साथ।

दिलचस्प बात यह है कि तीनों मौकों पर भारत शामिल रहा — एक बार विपक्ष के रूप में और दो बार खुद इस कारनामे का हिस्सा बनकर।

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