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Up Kiran , Digital Desk: आठ मई 2025 की रात भारत के लिए एक निर्णायक क्षण थी। जैसे ही पाकिस्तानी वायु सेना ने भारत के उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों को लक्षित करते हुए एक योजनाबद्ध हवाई हमला शुरू किया भारत की अत्याधुनिक एस-400 वायु रक्षा प्रणाली—जिसे भारतीय सशस्त्र बलों ने 'सुदर्शन चक्र' का नाम दिया है उसने रियल टाइम में प्रतिक्रिया देते हुए इस हमले को पूरी तरह विफल कर दिया।

इस कार्रवाई ने न केवल भारत की वायु रक्षा क्षमता को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया बल्कि यह भी साबित कर दिया कि S-400 सिर्फ एक तकनीकी निवेश नहीं बल्कि एक रणनीतिक गेम-चेंजर है।

एस-400: एक अनदेखा अभेद्य कवच

एस-400 ट्रायंफ रूस द्वारा विकसित की गई एक लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है। यह एक साथ 36 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती है और 400 किलोमीटर तक की दूरी पर मौजूद दुश्मन के विमानों ड्रोन और मिसाइलों को एक झटके में नष्ट कर सकती है।

8 मई की रात जब पाकिस्तान की ओर से हवाई हमले की योजना बनाई गई तब एस-400 की रडार यूनिट्स ने इन खतरों को काफी पहले ट्रैक कर लिया था। उसके बाद मल्टी-लेयर इंटिग्रेटेड डिफेंस नेटवर्क ने खतरे का आकलन कर त्वरित कार्रवाई की और मिसाइलों को लॉन्च कर हमलावर ड्रोन व जेट्स को मार्ग में ही नष्ट कर दिया।

भारत की तैयारी और पाकिस्तान की असफलता

पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली तकनीकी रूप से अभी भी पुराने ढांचे पर आधारित है। जहां भारत एस-400 जैसे एडवांस सिस्टम से लैस है वहीं पाकिस्तान के पास ऐसी कोई समकक्ष प्रणाली नहीं है जो इतनी लंबी दूरी पर मल्टीपल थ्रेट्स को संभाल सके। यही वजह है कि उनके द्वारा किए गए हवाई हमले न केवल असफल रहे बल्कि उनकी रणनीतिक कमजोरी भी उजागर हो गई।

कौन-कौन से देश करते हैं S-400 का इस्तेमाल

एस-400 की अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता इसका प्रमाण है कि यह कितनी भरोसेमंद प्रणाली है। आईये जानें इसे कितने देशों ने अपनाया।

  • रूस – इसका मूल निर्माता और सबसे प्रमुख उपयोगकर्ता।
  • चीन – पहला अंतरराष्ट्रीय खरीदार जो इसे अमेरिका और जापान जैसे विरोधियों के विरुद्ध इस्तेमाल करता है।
  • भारत – रणनीतिक रूप से पाकिस्तान और चीन से लगती सीमाओं की सुरक्षा हेतु तैनात।
  • तुर्की – नाटो सदस्य होते हुए भी इसने एस-400 खरीदा जिससे अमेरिका के साथ तनाव उत्पन्न हुआ।

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