
Up Kiran, Digital Desk: भारत में सावन का महीना केवल एक धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि एक सामाजिक और प्रशासनिक चुनौती बन चुका है। जैसे-जैसे सावन का तीसरा सोमवार आया, देश के प्रमुख शिवालयों में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा, जिससे न केवल धार्मिक माहौल बना रहा बल्कि शहरों की सामान्य दिनचर्या पर भी प्रभाव पड़ा। इस विशेष दिन पर श्रद्धा और व्यवस्था के बीच संतुलन बनाए रखना प्रशासन के लिए एक बड़ी परीक्षा बन गया।
जनजीवन पर पड़ा प्रभाव
देशभर के बड़े और ऐतिहासिक शिव मंदिरों में अलसुबह से ही भक्तों की कतारें लग गईं। इन कतारों ने यातायात व्यवस्था को प्रभावित किया, वहीं बाजारों और स्थानीय व्यापार पर भी इसका असर देखा गया। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कई जगह ट्रैफिक डायवर्जन लागू किए गए और सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई गई।
प्रमुख मंदिरों में रही भारी हलचल
वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर हर साल की तरह इस बार भी भक्तों की आस्था का केंद्र रहा। आरती में भाग लेने को भक्त पूरी रात लाइन में खड़े रहे। प्रशासन ने फूलों की वर्षा से माहौल को और भक्तिमय बनाया।
अहमदाबाद के कोटेश्वर महादेव मंदिर में गुजरात की पारंपरिक धार्मिकता देखने को मिली, जहां श्रद्धालु विविध पूजा विधियों में शामिल हुए।
दिल्ली के गौरी शंकर मंदिर, जो चांदनी चौक के बीचोंबीच स्थित है, वहां भक्तों की आवाजाही दिनभर बनी रही, जिससे स्थानीय ट्रैफिक पर दबाव देखा गया।
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर शिव भक्तों की भीड़ से गूंज उठा। “हर-हर महादेव” के नारों ने पूरे क्षेत्र को भक्ति के रंग में रंग दिया।
झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम में सावन की परंपरागत कांवड़ यात्रा के चलते दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।
राजस्थान का तारकेश्वर महादेव मंदिर भी इस धार्मिक जोश से अछूता नहीं रहा। यहां हज़ारों श्रद्धालुओं ने विधिवत अनुष्ठान किए।
हरिद्वार का दक्षेश्वर महादेव मंदिर, जो गंगा किनारे स्थित है, पवित्र स्नान और पूजा के लिए तीर्थयात्रियों से भर गया।
अयोध्या के नागेश्वरनाथ और क्षीर सागर नाथ मंदिरों में रामनगरी की सड़कों पर भी शिव भक्तों की गूंज सुनाई दी।
श्रद्धा और आयोजन के बीच प्रशासन की सतर्कता
सावन सोमवार को लेकर सुरक्षा एजेंसियों और स्थानीय प्रशासन ने बड़े स्तर पर तैयारी की थी। जगह-जगह पर बैरिकेडिंग, CCTV निगरानी, मेडिकल सहायता और आपातकालीन सेवाओं की व्यवस्था की गई।
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