
Up Kiran, Digital Desk: भारत और इंग्लैंड के बीच रांची में खेले गए चौथे टेस्ट मैच में भारतीय टीम ने शानदार जीत हासिल की और सीरीज भी अपने नाम कर ली। लेकिन इस रोमांचक मुकाबले के दौरान एक ऐसा वाकया हुआ जिस पर पूर्व क्रिकेटर और मशहूर कमेंटेटर संजय मंजरेकर ने इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स पर सवाल उठाए हैं। मंजरेकर ने स्टोक्स के व्यवहार को 'पेशेवर नहीं' बताया और इसे 'खेल भावना के खिलाफ' भी करार दिया।
क्या थी घटना? दरअसल, मैच के दौरान एक मौका ऐसा आया जब एक फील्डर ने गेंद थ्रो की। बेन स्टोक्स, जो उस समय नॉन-स्ट्राइकर एंड पर खड़े थे, उन्होंने गेंद को फील्ड करने या रास्ता देने के बजाय अपना पैर उस पर रख दिया। ऐसा लग रहा था कि उन्होंने जानबूझकर गेंद की गति कम करने या उसे रोकने की कोशिश की, ताकि शायद फील्डिंग टीम को नुकसान हो या रन आउट का मौका खत्म हो जाए।
मंजरेकर का गुस्सा फूटा संजय मंजरेकर ने स्टोक्स की इस हरकत को देखकर नाराजगी जताई। कमेंट्री के दौरान उन्होंने साफ कहा, "मुझे यह हरकत बिल्कुल पसंद नहीं आई। यह किसी छोटे बच्चे की हरकत लगती है, एक प्रोफेशनल क्रिकेटर को ऐसा नहीं करना चाहिए।" उन्होंने आगे इसे 'एक सस्ती चाल' भी बताया, जो खेल की गरिमा को ठेस पहुंचाती है।
खेल भावना' क्या है? क्रिकेट में 'खेल भावना' (Spirit of the Game) का बहुत महत्व होता है। इसका मतलब है कि खिलाड़ी न सिर्फ नियमों का पालन करें, बल्कि ईमानदारी, निष्पक्षता और सम्मान के साथ खेलें। भले ही नियमों में उस हरकत के लिए कोई सीधा दंड न हो, लेकिन अगर वह खेल भावना के खिलाफ हो, तो उसकी आलोचना होती है। बेन स्टोक्स का यह कदम उसी खेल भावना के दायरे से बाहर माना गया।
इस घटना से मैच के नतीजे पर कोई खास असर नहीं पड़ा, क्योंकि भारत ने वह मैच शानदार तरीके से जीत लिया था। लेकिन संजय मंजरेकर जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी का यह बयान दिखाता है कि खेल के दौरान ऐसी 'चालाकी' वाली हरकतों को गंभीरता से लिया जाता है और उनकी आलोचना भी होती है। यह घटना खेल के मैदान पर नैतिकता और व्यवहार पर एक बार फिर बहस छेड़ गई है।
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