
Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम के बीच हाल ही में हुई एक निजी मुलाकात ने भारत में सियासी हलचल तेज कर दी है। इस मुलाकात को लेकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसे भारत की कूटनीति के लिए एक 'बड़ा झटका' बताया है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, यह मुलाकात न्यूयॉर्क के ट्रम्प टावर में एक दोपहर के भोजन पर हुई थी, जिसमें ट्रम्प के परिवार के सदस्य भी मौजूद थे। चौंकाने वाली बात यह है कि अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से इस बैठक को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी या पुष्टि नहीं की गई है, जिससे इसकी गोपनीयता और उद्देश्य पर सवाल उठ रहे हैं। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह एक "निजी मुलाकात" थी।
कांग्रेस क्यों है नाराज़?
भारतीय कांग्रेस पार्टी ने इस मुलाकात पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इस घटना को "कूटनीति के लिए एक बड़ा झटका" बताते हुए कहा कि यह मुलाकात न केवल राजनयिक प्रोटोकॉल का उल्लंघन है, बल्कि इसके पीछे की मंशा भी सवालों के घेरे में है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस बैठक ने अमेरिका की भारत और पाकिस्तान को लेकर नीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने भी इस मुलाकात पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि "भारत किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता, विशेषकर कश्मीर मुद्दे पर"। उनका इशारा ट्रम्प के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान कश्मीर मुद्दे पर की गई मध्यस्थता की पेशकशों की ओर था, जिसे भारत ने हमेशा द्विपक्षीय मामला बताते हुए खारिज कर दिया था।
भारत का रुख साफ
भारत का हमेशा से यह रुख रहा है कि जम्मू-कश्मीर से जुड़ा कोई भी मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मामला है, और इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता या हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं है। ऐसे में, एक पूर्व राष्ट्रपति का पाकिस्तानी राजदूत के साथ यह निजी मुलाकात, वह भी बिना अमेरिकी विदेश विभाग की जानकारी के, निश्चित तौर पर भारतीय कूटनीति और राष्ट्रीय हितों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। कांग्रेस का आरोप है कि यह कदम भारतीय हितों को कमजोर करने वाला और राजनयिक मर्यादा का उल्लंघन है।
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