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Up Kiran, Digital Desk: जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों पर हुए आतंकी हमलों के बाद भारत ने जिस तरह से प्रतिकार किया, वह न केवल सैन्य नीति में एक निर्णायक मोड़ था बल्कि यह संकेत भी था कि अब सीमाओं के पार की साजिशों को चुपचाप सहन नहीं किया जाएगा। मई में अंजाम दिए गए ऑपरेशन 'सिंदूर' ने स्पष्ट कर दिया कि भारत अब आतंक के ठिकानों को केवल नजरअंदाज नहीं करेगा बल्कि चुन-चुनकर जवाब भी देगा।

इस ऑपरेशन का असर सिर्फ आतंकी ढांचे तक सीमित नहीं रहा बल्कि इससे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पंजाब क्षेत्र में मौजूद आतंकी तंत्र को गहरी चोट पहुंची है। पांच PoK और चार पाकिस्तान स्थित अड्डों को निशाना बनाकर की गई यह कार्रवाई, तकनीकी सटीकता और रणनीतिक सोच का उदाहरण मानी जा रही है।

जब मुजफ्फराबाद और कोटली के कैंप बने निशाना

7 मई की रात सटीकता से की गई इन एयर स्ट्राइक्स ने मुजफ्फराबाद स्थित सैयदना बिलाल कैंप और कोटली के गुलपुर कैंप को पूरी तरह निष्क्रिय कर दिया। यह वही अड्डे थे, जहां जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल जैसे संगठनों के आतंकी अंतिम प्रशिक्षण लेते थे—हथियार संचालन से लेकर घुसपैठ की रणनीतियों तक।

हाई-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट इमेज से साफ हुआ है कि जहां हमले हुए, वहां की संरचनाएं पूरी तरह ध्वस्त हो गईं, जबकि आस-पास का क्षेत्र अप्रभावित रहा। इससे संकेत मिलता है कि संभवतः लोइटरिंग ड्रोन जैसे अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया।

क्यों थी यह कार्रवाई ज़रूरी

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत ने देश को झकझोर दिया था। यह हमला न सिर्फ मानवता पर हमला था, बल्कि भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए सीधी चुनौती भी। इसके बाद जिस तीव्रता और गोपनीयता से ऑपरेशन 'सिंदूर' को अंजाम दिया गया, उसने आतंकियों के मनोबल को करारा झटका दिया है।

विशेषज्ञों की नजर में इसका प्रभाव

पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ और डीएस हुड्डा जैसे सैन्य रणनीतिकारों ने ऑपरेशन की सराहना करते हुए कहा कि इससे न सिर्फ आतंकी ठिकानों को नुकसान पहुंचा, बल्कि उनके मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी गहरे हैं। PoK में मौजूद यह कैंप लंबे समय से आतंकवादियों की लॉजिस्टिक तैयारी और घुसपैठ की प्लानिंग का अड्डा बने हुए थे।

घुसपैठ की पूरी श्रृंखला टूटी

सेना सूत्रों के अनुसार, इन शिविरों में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से लाए गए आतंकियों को प्रशिक्षित कर छोटे-छोटे समूहों में बांटा जाता था। फिर इन्हें जम्मू के सीमावर्ती इलाकों से भारत में दाखिल कराया जाता था। यही आतंकवादी मार्च से मई 2024 के बीच कई आतंकी वारदातों में शामिल रहे।

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