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ukraine russia war: पीएम मोदी 23 अगस्त को कीव की अपनी आगामी यात्रा की तैयारी कर रहे हैं, वहीं भारत ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष पर अपना रुख स्पष्ट किया है।

सन् 1991 में यूक्रेन की आजादी के बाद से किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ये पहली यूक्रेन यात्रा है, जो जारी युद्ध में भारत की संभावित भूमिका पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय ध्यान के बीच हो रही है। हालांकि, स्थिति से परिचित सूत्रों के अनुसार, भारतीय अफसरों ने दोनों देशों (यूक्रेन रूस) के बीच मध्यस्थता की संभावना को दृढ़ता से खारिज कर दिया है।

मध्यस्थता पर भारत का रुख क्या

शांति वार्ता में अधिक सक्रिय भूमिका के लिए यूक्रेन के अनुरोधों के बावजूद भारत ने प्रत्यक्ष मध्यस्थ की भूमिका निभाने के खिलाफ फैसला किया है। इसके बजाय, भारत ने युद्धरत पक्षों के बीच संदेशों को प्रसारित करने के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करने की पेशकश की है। ये दृष्टिकोण संघर्ष को हल करने के प्राथमिक साधन के रूप में बातचीत और कूटनीति को बढ़ावा देने की भारत की दीर्घकालिक स्थिति के अनुरूप है।

जानकारी के अनुसार, रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता भारत नहीं कर सकता है। नाम न छापने की शर्त पर सूत्र ने बताया कि भारतीय पक्ष दोनों के बीच संदेश जरूर भेज सकता है।
 

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