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Lucknow: वरिष्ठ पत्रकार व फर्क इंडिया के संस्थापक स्व. अखिलेश कृष्ण मोहन और उनकी माता स्व. पार्वती देवी की चौथी पुण्यतिथि पर मंगलवार को लखनऊ स्थित उनके निवास पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पत्रकारिता जगत से जुड़े अनेक वरिष्ठ पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनैतिक नेताओं ने उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम की शुरुआत स्व. अखिलेश कृष्ण मोहन और स्व. पार्वती देवी के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप विश्वकर्मा ने कहा कि “स्व. अखिलेश एक शानदार पत्रकार थे, जिन्होंने पत्रकारिता को जनसेवा का माध्यम बनाया।”

वरिष्ठ पत्रकार मनोज मिश्रा ने उन्हें याद करते हुए कहा, “अखिलेश कृष्ण मोहन पत्रकारों के बीच एक सेतु की भूमिका निभाते थे। वे सभी को जोड़ने का काम करते थे।”

वरिष्ठ पत्रकार राजवीर सिंह ने कहा, “वे एक जमीनी पत्रकार थे, जिनकी पकड़ सामाजिक मुद्दों पर बहुत मजबूत थी।” वहीं अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने उन्हें याद करते हुए कहा, “अखिलेश जी हमेशा मुद्दों की गहराई में जाकर पत्रकारिता करते थे।”

वरिष्ठ पत्रकार अमित यादव ने कहा कि “वो जुझारू और संघर्षशील पत्रकार थे, जिन्होंने हमेशा निडर होकर सच्चाई को सामने रखा।”

नेशनल जनमत के नीरज पटेल ने कहा, “अखिलेश जी समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की भी आवाज बनते थे।”

कांग्रेस नेता अनामिका यादव ने कहा, “हम सभी अखिलेश जी के परिवार के साथ खड़े हैं और उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।”

वरिष्ठ पत्रकार चंद्रभान यादव ने कहा कि “हमें अखिलेश जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए पत्रकारिता करनी चाहिए।”

डॉ. टी.आर. यादव ने कहा कि “वे हर मुद्दे को गंभीरता से लेते थे और उसे कवर करने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।”
स्व. अखिलेश कृष्ण मोहन की पत्नी श्रीमती रीता कृष्ण मोहन ने बताया कि वर्ष 2020 में कोविड के दौरान स्वर्गवास हो गया था। उसके बाद से प्रति वर्ष उनकी याद में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाता है।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. राजेश कुमार ने किया।

इस अवसर पर शिल्पी चौधरी, प्रमोद यादव, काशी प्रसाद यादव, डॉ. मुलायम सिंह, योगेश दीक्षित, सुनील यादव, राजू यादव, शुभी पटेल, फूल चंद्र, राजीव गुप्ता, शेखर पंडित,ओपी राजभर, अनूप सिंह, अशोक कुमार प्रभात सहित कई पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

यह श्रद्धांजलि सभा न केवल एक स्मृति आयोजन थी, बल्कि पत्रकारिता के प्रति प्रतिबद्धता और सामाजिक सरोकारों को पुनः स्मरण करने का अवसर भी बनी।

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