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Up Kiran, Digital Desk: बीते रविवार को CM योगी आदित्यनाथ के मेरठ दौरे ने सुरक्षा व्यवस्था की कड़ाई और वीआईपी पास के मुद्दे को गरमा दिया। जहां एक ओर कांवड़ यात्रा मार्ग के निरीक्षण और कांवड़ियों पर पुष्पवर्षा का भव्य कार्यक्रम आयोजित था वहीं मोदीपुरम इलाके में आम जनता के साथ-साथ कई बड़े नेताओं को भी सुरक्षा घेरे का सामना करना पड़ा जिससे थोड़ी देर के लिए गहमागहमी का माहौल बन गया।
घटनाक्रम तब शुरू हुआ जब बीजेपी के दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेयी को कार्यक्रम स्थल पर जाने से रोक दिया गया। पुलिसकर्मियों ने उन्हें पास न होने का हवाला देते हुए आगे बढ़ने की इजाजत नहीं दी। इस पर वाजपेयी की पुलिस से तीखी बहस हो गई और बात इतनी बढ़ी कि उन्होंने गुस्से में पुलिस को "दिमाग ठीक करने" की नसीहत दे डाली। यह वाकया चर्चा का विषय बन गया और वाजपेयी नाराजगी में अपनी गाड़ी से लौट गए। हालांकि कुछ समय बाद वे वापस लौटे और CM योगी आदित्यनाथ के साथ मंच साझा करते हुए दिखाई दिए जिससे यह साफ हो गया कि मामला सुलझा लिया गया था।
सिर्फ वाजपेयी ही नहीं भाजपा के पूर्व विधायक और अपनी बेबाकी के लिए जाने जाने वाले नेता संगीत सोम को भी पुलिस ने कार्यक्रम स्थल की ओर जाने से रोका। यह घटना दुल्हैड़ा चौकी के पास हुई जहां CM कांवड़ियों पर पुष्पवर्षा करने वाले थे। हाईवे पर भारी भीड़ के कारण सभी गाड़ियों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई थी। जब संगीत सोम अपनी निजी गाड़ी से कार्यक्रम स्थल की ओर बढ़ रहे थे तो एसपी ट्रैफिक राघवेंद्र और एडीएम सिटी ब्रजेश कुमार ने बैरिकेडिंग पर उनकी गाड़ी रोक दी जिससे उन्हें भी कुछ असहजता हुई।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह सारी पाबंदी CM की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लगाई गई थी। बिना उचित पास के किसी भी वाहन या व्यक्ति को अंदर जाने की अनुमति नहीं थी। इस घटना ने एक बार फिर वीआईपी संस्कृति और आम जनता की पहुंच के बीच की खाई को उजागर किया है। एक ओर जहां CM की सुरक्षा सर्वोपरि है वहीं दूसरी ओर स्थानीय नेताओं और आम लोगों के लिए ऐसे आयोजनों में शामिल होना एक चुनौती बन जाता है।
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