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भारत ने वैश्विक रणनीतिक समीकरणों में बड़ा कदम उठाते हुए चीन को दरकिनार कर ऑस्ट्रेलिया के साथ रेयर अर्थ एलिमेंट्स (REE) की डील करने की दिशा में पहल की है। यह कदम न सिर्फ भारत की अर्थव्यवस्था और तकनीकी जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि चीन की एकाधिकार नीति को भी कड़ा जवाब देगा।

रेयर अर्थ एलिमेंट्स का उपयोग मोबाइल, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक व्हीकल, सोलर पैनल, मिसाइल सिस्टम और अन्य हाईटेक उत्पादों में होता है। अभी तक इस क्षेत्र में चीन का वर्चस्व रहा है, जो दुनिया में REE का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। लेकिन चीन द्वारा इन खनिजों की सप्लाई को एक रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करने पर कई देश चिंता जता चुके हैं।

भारत ने अब इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के साथ साझेदारी की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। ऑस्ट्रेलिया भी रेयर अर्थ मिनरल्स का एक प्रमुख स्रोत है और भारत के साथ मिलकर दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध और मज़बूत हो सकते हैं।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों के बीच तकनीकी सहयोग, खनन विकास और सप्लाई चेन को लेकर चर्चा चल रही है। जल्द ही एक औपचारिक समझौते की उम्मीद है।

यह कदम भारत की ‘चीन प्लस वन’ नीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसका मकसद चीन पर निर्भरता को कम करना है। इसके अलावा यह रणनीति इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की भूमिका को और मज़बूत करती है।

यह डील न केवल आर्थिक रूप से बल्कि रणनीतिक रूप से भी चीन को एक सख्त संदेश है कि भारत अब अपनी ज़रूरतों के लिए विकल्प तलाशने में सक्षम है।

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