img

Up Kiran, Digital Desk: भारत और रूस के बीच 2 अरब डॉलर के समझौते के तहत, भारत ने रूस से एक परमाणु ऊर्जा चालित हमलावर पनडुब्बी लीज़ पर लेने पर सहमति जताई है। यह ऐतिहासिक कदम भारत की समुद्री सुरक्षा को एक नई दिशा देने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, यह समझौता उन लंबी बातचीतों के बाद हुआ है, जो एक दशक से चल रही थीं और जिनमें कीमतों को लेकर कई बार गतिरोध पैदा हुआ था। अब, जबकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को भारत के दौरे पर आ रहे हैं, यह समझौता दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को और मजबूत करेगा।

नौसेना प्रमुख का बयान: जल्द हो सकता है पनडुब्बी का जलावतरण

रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय नौसेना के प्रमुख, दिनेश के त्रिपाठी ने इस समझौते की अहमियत को उजागर करते हुए संकेत दिया कि पनडुब्बी जल्द ही भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो सकती है। उन्होंने कहा, "भारतीय सेना ने हाल ही में ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जो भारत की सैन्य ताकत को और मजबूत करता है।" इस पनडुब्बी के शामिल होने से भारतीय नौसेना की ताकत में एक और मजबूती आएगी।

पानी के भीतर प्रतिरोधक क्षमता को मिलेगा और बल

रूसी पनडुब्बी के आने से भारतीय नौसेना के पास अब और ज्यादा सक्षम परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी होगी, जो समुद्र में भारतीय प्रभाव को बढ़ाएगी। इससे पहले भारत ने अपनी स्वदेशी पनडुब्बी और बैलिस्टिक मिसाइलों के माध्यम से समुद्र में अपनी शक्ति को साबित किया है। अब यह नया समझौता इस क्षमता को और विस्तार देगा।

क्या इस पनडुब्बी का इस्तेमाल युद्ध में होगा?

समझौते के अनुसार, रूस से लीज़ पर ली गई पनडुब्बी युद्ध के लिए नहीं उपयोग की जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय नौसेना के कर्मियों को ट्रेनिंग देने और परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों की परिचालन प्रक्रिया को सुधारने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करना है। यह पनडुब्बी 10 साल के लिए लीज़ पर दी जाएगी, जैसा कि पिछली रूसी पनडुब्बी के मामले में था, जिसे 2021 में वापस कर दिया गया था। इस समझौते में एक संपूर्ण रखरखाव पैकेज भी शामिल है, जो इसकी दीर्घकालिक कार्यक्षमता सुनिश्चित करेगा।