
Up Kiran, Digital Desk: भारत ने अपनी रक्षा प्रौद्योगिकी और परमाणु प्रतिरोधक क्षमता में एक ऐतिहासिक छलांग लगाई है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने गुरुवार को ओडिशा के तट पर स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से नई पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-प्राइम (Agni-Prime) का रेल-मोबाइल लॉन्चर से सफलतापूर्वक परीक्षण किया। सीधे शब्दों में कहें तो भारत ने अब एक ऐसी क्षमता हासिल कर ली है, जिससे वह देश के विशाल रेलवे नेटवर्क का उपयोग करके कहीं से भी, कभी भी परमाणु हमला कर सकता है, जिसे ट्रैक करना दुश्मन के लिए लगभग नामुमकिन होगा।
क्यों है यह परीक्षण एक 'गेम-चेंजर'?
यह कोई साधारण मिसाइल परीक्षण नहीं है। इसका सबसे क्रांतिकारी पहलू है 'रेल-मोबाइल लॉन्चर'।
अजेय गतिशीलता (Unmatched Mobility): इस तकनीक का मतलब है कि परमाणु मिसाइल को एक साधारण ट्रेन की बोगियों में छिपाकर देश के किसी भी कोने में पहुंचाया जा सकता है। यह सड़क मार्ग की तुलना में बहुत तेज और सुरक्षित है।
दुश्मन को धोखा (Deception and Surprise): दुश्मन के सैटेलाइट और जासूसी तंत्र के लिए यह पता लगाना लगभग असंभव होगा कि भारत की कौन सी ट्रेन में परमाणु मिसाइल छिपी है। यह भारत को "सेकंड स्ट्राइक" क्षमता में अभेद्य बनाता है - यानी, दुश्मन के पहले हमले के बाद भी जवाबी कार्रवाई करने की गारंटी।
बढ़ी हुई उत्तरजीविता (Enhanced Survivability): पारंपरिक मिसाइल साइटें दुश्मन के पहले निशाने पर होती हैं। लेकिन एक चलती हुई ट्रेन पर मौजूद मिसाइल को निशाना बनाना लगभग नामुमकिन है, जिससे हमारी परमाणु शक्ति और भी सुरक्षित हो जाती है।
क्या है 'अग्नि-प्राइम' की ताकत?
अग्नि-प्राइम, जिसे Agni-P भी कहा जाता है, अग्नि श्रृंखला की सबसे उन्नत मिसाइलों में से एक है:
रेंज: यह 1,000 से 2,000 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है, जिसकी जद में पाकिस्तान और चीन के कई बड़े शहर आते हैं।
कैनेस्टराइज्ड मिसाइल: यह एक सीलबंद कनस्तर में आती है, जिससे इसे लंबे समय तक स्टोर करना और तेजी से लॉन्च करना बहुत आसान हो जाता है।
दोहरी मारक क्षमता: यह दो चरणों वाली, ठोस ईंधन वाली मिसाइल है, जो पारंपरिक और परमाणु, दोनों तरह के हथियार ले जाने में सक्षम है।
हल्की और घातक: अपने पिछले संस्करणों की तुलना में यह काफी हल्की है, जो इसे और अधिक मोबाइल और सटीक बनाती है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ और सशस्त्र बलों को बधाई दी है। यह सफलता 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत भारत के स्वदेशी रक्षा उद्योग के लिए एक बड़ी जीत है और यह हिंद-प्रश्ांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगी।