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india's trade deficit: पारस्परिक टैरिफ व्यवस्था की घोषणा अंततः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2 अप्रैल, 2025 को की थी। लगभग एक महीने पहले, उन्होंने इस संबंध में मैक्सिको, चीन, कनाडा और भारत को एक अल्टीमेटम जारी किया था। उन्होंने घोषणा की कि संयुक्त राज्य अमेरिका इन देशों से आने वाले सामानों पर उसी प्रकार टैरिफ लगाएगा जिस प्रकार ये देश अमेरिकी सामानों पर आयात कर लगाते हैं। तदनुसार, ट्रम्प ने अंततः 'लिबरेशन डे' के माध्यम से अपने टैरिफ लागू कर दिए हैं।

ये चीजें भारत करता है निर्यात

भारत के दृष्टिकोण से भारत और अमेरिका के बीच वर्तमान व्यापार लगभग 130 बिलियन डॉलर का है। इस व्यापार में व्यापार घाटा मुख्यतः भारत के पक्ष में है। भारत प्रतिवर्ष 88 अरब डॉलर मूल्य का माल निर्यात करता है; भारत संयुक्त राज्य अमेरिका से 40 अरब डॉलर मूल्य का सामान आयात करता है। भारत से अमेरिका को किए जाने वाले निर्यात में रत्न एवं आभूषण पहले स्थान पर हैं। भारत हर साल अमेरिका को लगभग 16 अरब डॉलर मूल्य के रत्न और आभूषण निर्यात करता है।

नई टैरिफ नीति के अनुसार अमेरिका ने इस पर 26 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया है। इसका भारत में इस उद्योग पर बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना है। भारत अमेरिका को बड़ी मात्रा में ऑटोमोबाइल स्पेयर पार्ट्स का निर्यात भी करता है। टाटा मोटर्स जैसी कंपनियां बड़ी मात्रा में स्पेयर पार्ट्स अमेरिका को निर्यात करती हैं। जगुआर का अधिग्रहण टाटा मोटर्स ने कर लिया है। नई टैरिफ नीतियों का इस पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा ट्रंप ने रसायनों और कृषि उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने का भी फैसला किया है।

जानें भारत को कितना नुकसान

भारत ने घाटे वाली मानसिकता अपना ली थी और तदनुसार कुछ अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क कम करने का निर्णय लिया। उदाहरण के लिए, हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिलों पर आयात शुल्क कम कर दिया गया। अमेरिकी व्हिस्की पर भी शुल्क कम कर दिया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात की। उस समय लगभग 22 वस्तुओं पर आयात शुल्क कम करने का निर्णय लिया गया था। इसके अलावा भारत अमेरिकी व्यापार मंत्री के साथ बातचीत कर रहा है और संभावना है कि दोनों देशों के बीच जल्द ही व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर हो जाएंगे।

इसमें भारत को अमेरिका से आयातित दूध पाउडर, अमेरिकी सेब और बादाम पर आयात शुल्क कम करना होगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि अमेरिकी कारों पर आयात शुल्क भी कम करना होगा।

कुल मिलाकर अनुमान है कि ट्रम्प की नई टैरिफ नीतियों के कारण भारत को सालाना 7 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है।

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