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Up Kiran, Digital Desk: भारत, जो कभी पारंपरिक खिलौनों के लिए जाना जाता था, अब वैश्विक खिलौना बाजार में अपनी एक मजबूत पहचान बनाने की ओर अग्रसर है। 'मेक इन इंडिया' और 'डिजिटल इंडिया' जैसी सरकारी पहलों के समर्थन से, भारतीय खिलौना उद्योग आत्मनिर्भरता और निर्यात की दिशा में एक नई उड़ान भरने के लिए तैयार है। यह न केवल घरेलू बाजार को मजबूत करेगा, बल्कि लाखों लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा।

भारत का 'खिलौना' सामर्थ्य: एक विशाल अवसर

वैश्विक खिलौना बाजार का मूल्य खरबों डॉलर में है, और इसमें चीन जैसे देशों का दबदबा रहा है। हालांकि, हाल के वर्षों में, चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध और चीन में निर्मित खिलौनों की गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताएं भारत के लिए एक बड़ा अवसर लेकर आई हैं। भारतीय खिलौना निर्माता, जो पारंपरिक रूप से लकड़ी के खिलौनों और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध उत्पादों के लिए जाने जाते हैं, अब आधुनिक डिजाइन, नवाचार और सुरक्षा मानकों के साथ वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार हो रहे हैं।

बढ़ती घरेलू मांग: भारत में मध्यम वर्ग का बढ़ता विस्तार और बच्चों की बढ़ती आबादी ने घरेलू खिलौना बाजार को बढ़ावा दिया है। माता-पिता अब गुणवत्तापूर्ण, सुरक्षित और शैक्षिक खिलौनों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।

सरकारी पहलें: 'आत्मनिर्भर भारत', 'मेक इन इंडिया', और 'डिजिटल इंडिया' जैसी योजनाओं ने खिलौना निर्माताओं को तकनीकी उन्नयन, डिजाइन नवाचार, और निर्यात बाजारों तक पहुंच बनाने में मदद की है। सरकार ने खिलौना निर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना भी शुरू की है।

डिजाइन और नवाचार पर जोर: भारतीय निर्माता अब केवल पारंपरिक खिलौनों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे डिजिटल खिलौनों, शैक्षिक खिलौनों, और STEAM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, कला, गणित) आधारित खिलौनों के विकास पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से ई-कॉमर्स की बढ़ती पहुंच ने भी भारतीय खिलौनों को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचाना आसान बना दिया है।

गुणवत्ता और सुरक्षा मानक: भारत सरकार ने भारतीय खिलौना गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (Indian Toy Quality Control Order) जैसे सख्त नियम लागू किए हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि बाजार में केवल सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाले खिलौने ही आएं। यह अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के बीच विश्वास पैदा करने के लिए महत्वपूर्ण है।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अवसर: चीन से बढ़ती प्रतिस्पर्धा और व्यापार संबंधी चिंताओं के कारण, कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां वैकल्पिक विनिर्माण स्रोतों की तलाश कर रही हैं, जहाँ भारत एक प्रमुख विकल्प के रूप में उभर सकता है।

चुनौतियाँ और आगे की राह: हालांकि संभावनाएं उज्ज्वल हैं, फिर भी कुछ चुनौतियाँ मौजूद हैं:

प्रतिस्पर्धा: अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीन और अन्य देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा।

डिजाइन और अनुसंधान एवं विकास (R&D): नवाचार और नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने में अधिक निवेश की आवश्यकता।

गुणवत्ता नियंत्रण: मानकों को बनाए रखना और नकली उत्पादों से निपटना।

वित्तीय सहायता: छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (MSMEs) के लिए सुलभ वित्तपोषण की आवश्यकता।

इन चुनौतियों के बावजूद, भारतीय खिलौना उद्योग में 'खिलौना क्रांति' लाने की अपार क्षमता है। सही रणनीति, सरकारी समर्थन, और नवाचार पर निरंतर ध्यान केंद्रित करके, भारत निश्चित रूप से वैश्विक खिलौना बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बन सकता है, जो न केवल 'मेक इन इंडिया' की भावना को मजबूत करेगा, बल्कि 'भारत निर्मित' खिलौनों को दुनिया भर के बच्चों के चेहरों 

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