
भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) अगले S‑5 क्लास परमाणु पनडुब्बियों से K‑6 हायपरसोनिक SLBM का सफल ट्रायल करने की तैयारी कर रहा है। यह मिसाइल ब्रह्मोस से भी कहीं ज़्यादा तेजी से और लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम होगी।
K‑6 की मुख्य विशेषताएँ:
गति: यह मिसाइल लगभग Mach 7.5 की स्पीड से उड़ती है, यानी करीब 9,200 किमी प्रति घंटा की रफ्तार, जो इसे रडार और आधुनिक डिफेंस सिस्टम के लिए अत्यंत चुनौतीपूर्ण बनाती है ।
रेंज: इसकी मारक दूरी लगभग 8,000 किमी है, जिससे यह भारत से समुद्र में लॉन्च हो कर पाकिस्तान, चीन या यहां तक यूरोप के कई हिस्सों तक निशाना साध सकती है ।
MIRV क्षमता: इसमें मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रिएंट्री वेहिकल तकनीक (MIRV) है, जो एक मिसाइल से कई अलग मिशनों को अंजाम दे सकती है ।
वज़न और आकार: यह ठोस ईंधन वाली तीन-स्तरीय मिसाइल है, जिसकी लंबाई लगभग 12 मीटर और वज़न 2‑3 टन है ।
K‑6 परियोजना की शुरुआत 2017 में DRDO के एडवांस्ड नेवल सिस्टम लैब (हैदराबाद) में हुई थी । यह मिसाइल K‑4 और K‑5 SLBM के विकास के बाद का अगला बड़ी छलांग है। INS Arihant ने K‑4 मिसाइल से द्रुष्टता परीक्षण किया और K‑5 का विकास लगभग पूरा हो चुका है ।
रणनीतिक महत्ता:
K‑6 के संचालन से भारतीय समुद्री परमाणु त्रिधा (न्यूक्लियर ट्रायड) की मजबूती बढ़ेगी। इसकी समुद्र आधारित मिसाइल प्रणाली दुश्मनों के पहले हमले के बाद भी जवाब देने की क्षमता बनाए रखेगी । यह भारत को अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूके जैसे देशों की नज़र में एक सक्षम मिसाइल शक्ति के रूप में स्थापित करेगा ।
आगामी परीक्षण और कब:
भारत 2027‑30 के बीच S‑5 क्लास पनडुब्बियों को रोल आउट करेगा, साथ ही STR की ट्रायल्स तेज़ होंगी । उम्मीद है कि दशक के अंत तक यह मिसाइल बंदरगाह से समुद्र तक परीक्षणों के बाद तैनाती के लिए तैयार हो सकेगी।
भारत अब एक कदम और आगे बढ़ रहा है—हायपरसोनिक गति, लंबी दूरी और MIRV टेक्नोलॉजी से लैस K‑6 SLBM, समुद्र के भीतर से चलने वाले ताक़तवर हथियार के रूप में विश्व मंच पर खुद को मजबूत स्थिति में रखेगा।
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