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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय फौज के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। रक्षा मंत्रालय जल्द ही क्विक रेस्पांस Surface-to-Air Missile (QR-SAM) प्रणाली की तीन रेजिमेंट खरीदने पर निर्णय ले सकता है, जिसकी लागत लगभग तीस हजार करोड़ रुपये आंकी गई है। ये सिस्टम देश की वायु रक्षा को और मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।

QR-SAM सिस्टम की खूबियों पर एक नजर

रेंज: 25-30 किलोमीटर तक दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोन को रोकने में सक्षम।

सक्षम: कई लक्ष्यों को एक साथ ट्रैक कर सकता है, तेज और सटीक फायरिंग निर्णय ले सकता है।

लॉन्च: इसे ट्रक, बंकर या मोबाइल यूनिट जैसे किसी भी प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है।

इंटीग्रेशन: टैंकों और पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों के साथ भी समन्वय में काम करता है।

स्वदेशी: यह पूरी तरह से भारत में विकसित और निर्मित प्रणाली है।

ये प्रणाली ऑपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद भारत के बहुस्तरीय वायु रक्षा नेटवर्क को और बेहतर बनाने के लिए लाई जा रही है। खासतौर पर पाकिस्तान से आए तुर्की के ड्रोन और चीन की मिसाइलों को रोकने के लिए यह महत्वपूर्ण है। पिछले 3-4 वर्षों में डीआरडीओ और सेना ने इस सिस्टम का कई बार सफल परीक्षण किया है।

आगे की योजना क्या

सेना को कुल 11 रेजिमेंटों की जरूरत है ताकि युद्ध के मैदान में इस प्रणाली को पूरी तरह तैनात किया जा सके। आकाश प्रणाली की रेजिमेंटें भी धीरे-धीरे इस QR-SAM प्रणाली को शामिल कर रही हैं। डीआरडीओ एक और कम दूरी की वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली (VSHORAD) भी विकसित कर रहा है, जिसकी रेंज लगभग 6 किलोमीटर होगी।

बता दें कि ये नया एयर डिफेंस सिस्टम भारत की वायु सुरक्षा को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। दुश्मन के मिसाइल और ड्रोन हमलों को रोकने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे सीमा की सुरक्षा और भी पुख्ता होगी। इसके अलावा, यह स्वदेशी तकनीक होने के कारण रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता भी बढ़ाएगी।

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