
Up Kiran, Digital Desk: भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने लिवर सिरोसिस (liver cirrhosis) के इलाज के लिए एक नया तरीका खोजा है। उन्होंने लिवर और आंत में लिम्फेटिक वाहिकाओं (lymphatic vessels) को लक्षित किया है, जो सिरोसिस की स्थिति में काम करना बंद कर देती हैं। यह शोध पुरानी लिवर बीमारी (chronic liver disease) के उपचार में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, जो हल्के रोग से फाइब्रोसिस (fibrosis) और फिर सिरोसिस (जिगर में घाव/निशान पड़ना) तक बढ़ सकती है।
लिवर सिरोसिस (liver cirrhosis) के साथ लिवर और आंत दोनों में रक्त और लिम्फेटिक वाहिकाओं (blood and lymphatic vessels) का विकृति भी होती है। उन्नत सिरोसिस (advanced cirrhosis) वाले मरीजों को अक्सर पेट में द्रव जमा होने (ascites या जलोदर) जैसी जटिलताएं विकसित हो जाती हैं, जिससे उनकी स्थिति और बिगड़ जाती है।
नैनोकेरियर्स और VEGF-C प्रोटीन का कमाल नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (ILBS),और गुवाहाटी स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (NIPER)के वैज्ञानिकों की एक टीम ने VEGF-C नामक एक शक्तिशाली प्रोटीन (powerful protein called VEGF-C) से भरे नैनोकेरियर्स (nanocarriers) का उपयोग करके लिवर और आंत में लिम्फेटिक वाहिकाओं की जल निकासी क्षमता (drainage capacity of lymphatic vessels) में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित किया।
शोधकर्ताओं ने बताया, “वैस्कुलर एंडोथेलियल ग्रोथ फैक्टर-सी (VEGF-C) एक महत्वपूर्ण प्रो-लिम्फएंजियोजेनिक कारक है जो लिम्फएंजियोजेनेसिस (lymphangiogenesis) या नई लिम्फेटिक वाहिका वृद्धि को सक्रिय करता है। यह एक कोशिका झिल्ली टाइरोसिन किनसे रिसेप्टर, वैस्कुलर एंडोथेलियल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर-3 (VEGFR-3) से जुड़कर ऐसा करता है, जिसकी सक्रियता नई लिम्फेटिक वाहिकाओं के विकास और वृद्धि के लिए आवश्यक है।”
टीम ने आंत की लिम्फेटिक शिथिलता (gut lymphatic dysfunction) को कम करने और लिम्फ जल निकासी (lymph drainage) में सुधार करने में VEGF-C की चिकित्सीय प्रभावकारिता (therapeutic efficacy) की जांच की।
उपचार का विकास और परिणाम VEGF-C की हाइड्रोफिलिसिटी (hydrophilicity), कम अर्ध-आयु (short half-life) और प्रणालीगत दुष्प्रभावों (systemic side effects) के कारण, निपर गुवाहाटी (NIPER Guwahati) के डॉ. शुभम बनर्जी (Dr. Subham Banerjee) के नेतृत्व वाली टीम ने पहले VEGF-C से भरे रिवर्स मिसेल-आधारित नैनोकेरियर्स (reverse micelle-based nanocarriers) के विकास पर ध्यान केंद्रित किया, जो विशेष रूप से VEGFR-3 होमोडिमर से जुड़ते हैं।
इसके बाद, डॉ. सवनीत कौर (Dr. Savneet Kaur) के नेतृत्व वाली आईएलबीएस टीम (ILBS team) ने उन्नत सिरोसिस (advanced cirrhosis) और पोर्टल उच्च रक्तचाप (portal hypertension) के पशु मॉडल में विकसित VEGF-C नैनोकेरियर्स का बड़े पैमाने पर परीक्षण किया।
विकसित अणु को मौखिक मार्ग (oral route) से दिया गया ताकि पशु मॉडल में इसकी आंत लिम्फेटिक वाहिका द्वारा अवशोषण सुनिश्चित हो सके। टीम ने दिखाया कि VEGF-C नैनोकेरियर्स ने मेसेंटेरिक लिम्फ जल निकासी (mesenteric lymph drainage) में काफी वृद्धि की, जिससे जलोदर (ascites) कम हुआ।
महत्वपूर्ण रूप से, इस उपचार से पोर्टल दबाव (portal pressures) में भी कमी आई, मेसेंटेरिक लिम्फ नोड्स (mesenteric lymph nodes) में साइटोटॉक्सिक टी-सेल प्रतिरक्षा (cytotoxic T-cell immunity) में सुधार हुआ, और स्थानीय व प्रणालीगत जीवाणु भार (local and systemic bacterial load) कम हुआ।
चिकित्सा क्षेत्र में एक नई उम्मीद JHEP रिपोर्ट्स जर्नल (JHEP Reports journal) में प्रकाशित यह शोध पहली बार इस बात पर प्रकाश डालता है कि VEGF-C के साथ चिकित्सीय लिम्फएंजियोजेनेसिस (therapeutic lymphangiogenesis) खंडित लिम्फेटिक नेटवर्क (fragmented lymphatic network) के पुनर्निर्माण और उन्नत सिरोसिस (advanced cirrhosis) में लिम्फेटिक कार्य व जल निकासी को बहाल करने के लिए एक आशाजनक उपचार है। यह भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किया गया एक महत्वपूर्ण चिकित्सा नवाचार (medical innovation) है जो लाखों लिवर सिरोसिस रोगियों के लिए एक नई उम्मीद जगाता है।
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