
Up Kiran, Digital Desk: ये खबर ग्रीन एनर्जी यानी हरित ऊर्जा के क्षेत्र में भारत के लिए एक बहुत बड़ी और अच्छी खबर है! हमारी अपनी भारतीय कंपनी, AM Green, जिसने अक्षय ऊर्जा से जुड़े 'ग्रीन मॉलिक्यूल्स' बनाने में काफी नाम कमाया है, उसने यूरोप के सबसे बड़े और सबसे व्यस्त बंदरगाहों में से एक, रॉटरडैम पोर्ट अथॉरिटी (Port of Rotterdam Authority) के साथ एक खास समझौता किया है।
ये समझौता क्यों खास है? दरअसल, यह समझौता इस बात की संभावना तलाशने के लिए किया गया है कि कैसे भारत में बनी हुई 'ग्रीन हाइड्रोजन' और 'ग्रीन अमोनिया' (ये दोनों ही ग्रीन मॉलिक्यूल्स हैं, जिन्हें साफ-सुथरी ऊर्जा से बनाया जाता है) को समुद्री रास्ते से यूरोप भेजा जाए और रॉटरडैम पोर्ट के जरिए पूरे यूरोप में पहुँचाया जाए।
सीधे शब्दों में कहें तो, AM Green भारत में बड़े पैमाने पर ग्रीन हाइड्रोजन और अमोनिया बनाएगी, और रॉटरडैम पोर्ट इसमें मदद करेगा ताकि यह साफ-सुथरा ईंधन जहाज से यूरोप तक आसानी से पहुँच सके और वहाँ इस्तेमाल हो सके।
यह सिर्फ दो कंपनियों के बीच का समझौता नहीं है। यह दिखाता है कि दुनिया अब जीवाश्म ईंधन (जैसे पेट्रोल, डीज़ल) से हटकर साफ ऊर्जा की ओर तेज़ी से बढ़ रही है। भारत जैसे देश, जहाँ अक्षय ऊर्जा बनाने की अच्छी क्षमता है, वे अब इस 'ग्रीन एनर्जी' को दूसरे देशों को बेच भी सकेंगे। रॉटरडैम पोर्ट यूरोप के लिए एक तरह का दरवाज़ा है, और इस समझौते से भारतीय ग्रीन मॉलिक्यूल्स के लिए यूरोपीय बाज़ार का रास्ता खुल रहा है।
AM Green जैसी कंपनियां बड़े स्तर पर काम कर रही हैं और उनका लक्ष्य कम लागत में ग्रीन हाइड्रोजन और अमोनिया बनाना है। जब उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ेगी और रॉटरडैम जैसे बड़े पोर्ट का साथ मिलेगा, तो भारत सही मायनों में दुनिया के लिए 'ग्रीन एनर्जी' का एक बड़ा सप्लायर बन सकता है। यह समझौता इसी दिशा में एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है। यह भारत और यूरोप दोनों के लिए फायदेमंद है और एक हरित भविष्य बनाने में मदद करेगा।
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