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Up kiran,Digital Desk : भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर एक बड़े बदलाव के दौर से गुज़र रहा है। अब यह देश 'डिफेंस' यानी रक्षात्मक रुख अपनाने के बजाय 'पहले हमला' (preemptive strike) करने, 'जबरदस्ती का फायदा उठाने' (coercive diplomacy) और 'सामरिक स्वायत्तता' (strategic autonomy) पर ज़ोर दे रहा है।

अमेरिकी मिलिट्री स्कॉलर जॉन स्पेंसर और फॉरेन पॉलिसी एक्सपर्ट डॉ. लॉरेन डेगन एमॉस के एक नए विश्लेषण के मुताबिक, 'भारत ने एक ऐसी सैद्धांतिक सीमा पार कर ली है, जो दक्षिण एशिया की सुरक्षा को पूरी तरह से बदल रही है।'

ऑपरेशन सिंदूर से बदली रणनीति

कई सालों तक, भारत बड़े आतंकवादी हमलों, जैसे 2016 में उरी, 2019 में बालाकोट और 2025 में पहलगाम, के बाद सोच-समझकर जवाबी कार्रवाई करता रहा है। यह सोच इस बात पर आधारित थी कि रोक-टोक से हमलों पर लगाम लगेगी। लेकिन स्पेंसर और एमॉस का कहना है कि 'सीमित और पहले से तय जवाबों' ने वास्तव में सीमा पार आतंकवाद को रोकने की बजाय उसे बढ़ावा दिया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जवाबी कार्रवाई के तय होने से दुश्मन को अगले हमले की योजना बनाने का मौका मिल गया, जिससे 'रोक' लगाना ही एक 'रणनीतिक कमजोरी' बन गई।

इसी साल की शुरुआत में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद अंजाम दिए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' ने भारत की इस बदली हुई रणनीति को साफ तौर पर सामने ला दिया।

'पैटर्न-आधारित' जवाब, सिर्फ 'घटना-आधारित' नहीं

लेखक साफ कहते हैं, 'भारत ने सिद्धांतों की एक हद पार कर ली है। अब यह ऐसा देश नहीं रहा जो आतंकवाद का जवाब सोची-समझी चेतावनियों से देता है या अपने फैसलों को सही ठहराने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों का इंतजार करता है।'

यह बदलाव किसी एक घटना या संस्थागत बदलाव का नतीजा नहीं हैं। बल्कि, यह इस बात पर जोर देता है कि भारत की आतंकवाद से निपटने की रणनीति अब केवल किसी 'घटना' पर आधारित नहीं, बल्कि 'पैटर्न' पर आधारित है। यह राष्ट्रीय भावना के साथ-साथ सामरिक ज़रूरतों से भी तय हो रही है।

खास बात यह है कि इस विश्लेषण में चीन को एक 'शांत दर्शक' के रूप में दिखाया गया है। 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारत द्वारा चीनी हथियारों को बेअसर करने से चीन को न केवल एक 'ऑपरेशनल मैसेज' मिला, बल्कि एक 'रणनीतिक संदेश' भी।

जॉन स्पेंसर, मैडिसन पॉलिसी फोरम में वॉर स्टडीज के चेयर और अर्बन वॉरफेयर इंस्टीट्यूट के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं। डॉ. लॉरेन डेगन एमॉस भारत की विदेश और सुरक्षा पॉलिसी की एक जानी-मानी एक्सपर्ट हैं।

संक्षेप में, भारत जानबूझकर अपनी सामरिक रणनीति को पूरी तरह से बदल रहा है। स्पेंसर और एमॉस के अनुसार, 'भारत लापरवाह नहीं, बल्कि बहुत सोच-समझकर कदम उठा रहा है।' वे चेतावनी देते हैं कि दुनिया को अब एक ऐसे भारत के साथ तालमेल बिठाना होगा, जो अपनी सुरक्षा, सिद्धांतों, टेक्नोलॉजी, जनता की उम्मीदों और भू-राजनीतिक संकेतों को एक ही धागे में पिरो रहा है।