
Up Kiran, Digital Desk: भारत ने मत्स्य पालन (Fisheries) के क्षेत्र में एक नया और गौरवशाली मुकाम हासिल कर लिया है। देश अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक बन गया है, जो वैश्विक उत्पादन में 8 प्रतिशत का प्रभावशाली योगदान दे रहा है। इतना ही नहीं, भारत मछली का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक भी है, जिससे दुनिया भर में भारतीय मछली की मांग का पता चलता है।
यह उपलब्धि उस जबरदस्त विकास को दर्शाती है जिसे मत्स्य पालन क्षेत्र, जिसे अब एक 'उभरता हुआ सूरज' (Sunrise Sector) माना जा रहा है, ने पिछले कुछ सालों में हासिल किया है।
आंकड़ों में देखिए भारत की शानदार छलांग
मत्स्य पालन क्षेत्र 2014-15 से 10.34% की शानदार वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है।
2014-15: कुल मछली उत्पादन 107.95 लाख टन था।
2022-23: यह बढ़कर 175.45 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
यह सिर्फ आंकड़ों की कहानी नहीं है, बल्कि यह देश के 2.8 करोड़ से अधिक मछुआरों और किसानों की मेहनत और उनकी आजीविका से भी जुड़ी है। यह क्षेत्र सीधे तौर पर करोड़ों लोगों को रोजगार दे रहा है।
कैसे मिली यह ऐतिहासिक सफलता: इस बड़ी कामयाबी के पीछे केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी 'प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना' (PMMSY) का अहम योगदान है।
सरकार ने इस क्षेत्र के समग्र विकास के लिए 20,050 करोड़ रुपये का भारी-भरकम निवेश किया है। इस योजना का मकसद सिर्फ मछली उत्पादन बढ़ाना नहीं, बल्कि मछुआरों के जीवन को बेहतर बनाना, कोल्ड चेन और सप्लाई चेन को मजबूत करना और इस सेक्टर को आधुनिक बनाना है।
सरकार इस क्षेत्र को 'अमृत काल' का क्षेत्र मान रही है, जिसका ध्यान घरेलू खपत बढ़ाने, निर्यात को और मजबूत करने और साथ ही साथ पर्यावरण का ध्यान रखते हुए स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देने पर है। भारत की यह सफलता देश में चल रही 'नीली क्रांति' को एक नई ऊंचाई पर ले गई है।