
Up Kiran, Digital Desk: भारत का फार्मास्यूटिकल निर्यात पिछले छह सालों में अभूतपूर्व तरीके से बढ़ा है, जिसमें 92% की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की गई है। यह जानकारी केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने दी, जिन्होंने इस उपलब्धि को भारत के 'दुनिया की फार्मेसी' बनने के सफर में एक मील का पत्थर बताया।
एक कार्यक्रम में बोलते हुए, केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि 2013-14 में भारत का फार्मा निर्यात 90,415 करोड़ रुपये था, जो 2021-22 में बढ़कर 1,75,045 करोड़ रुपये हो गया है। यह वृद्धि न केवल संख्या के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दिखाती है कि भारतीय फार्मा उद्योग वैश्विक स्तर पर कितना मजबूत और विश्वसनीय बन गया है।
मंत्री ने जोर देकर कहा कि इस शानदार विकास के पीछे सरकार की नीतियां, अनुसंधान और विकास में निवेश, और भारतीय फार्मा कंपनियों की गुणवत्ता व सामर्थ्य के प्रति प्रतिबद्धता है। भारत अब सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराने में विश्व में अग्रणी बन गया है, खासकर विकासशील देशों के लिए।
मंडाविया ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान भी भारतीय फार्मा कंपनियों ने न केवल देश की जरूरतों को पूरा किया, बल्कि दुनिया के कई देशों को दवाएं और टीके उपलब्ध कराकर अपनी क्षमता साबित की। इस दौरान भारत ने 'दुनिया की फार्मेसी' के रूप में अपनी भूमिका को और मजबूत किया।
यह वृद्धि भारत की आत्मनिर्भरता और वैश्विक स्वास्थ्य सेवा में उसके बढ़ते योगदान का प्रमाण है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ा सकारात्मक संकेत है, जो बताता है कि विनिर्माण क्षेत्र और निर्यात में देश कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है।
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