
Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा भारतीय आयातों (Indian imports) पर लगाए गए 50% टैरिफ (tariffs) के कारण वैश्विक बाजार में जारी उथल-पुथल के बीच, भारत अपनी निर्यात नीति (export policy) को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। यह निर्णय ट्रंप की 'अमेरिका को महान फिर से बनाओ' (Make America Great Again) की आक्रामक आर्थिक नीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अमेरिका में नौकरियां वापस लाना है। (Source Text) ट्रंप ने इन टैरिफ को भारत द्वारा रूस के साथ, विशेषकर कच्चे तेल (crude oil) के व्यापार पर लगाए गए टैरिफ का समर्थन करने से भी जोड़ा है, उनका दावा है कि यह मॉस्को को यूक्रेन के साथ युद्ध में मदद करता है। (Source Text) वहीं, भारत अपने लोगों और अर्थव्यवस्था के कल्याण (welfare of people and economy) को प्राथमिकता देते हुए इन दबावों के आगे झुकने से इनकार कर रहा है। (Source Text)
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण उच्च-स्तरीय कैबिनेट बैठक (high-level Cabinet meeting) की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यातों पर हाल ही में लगाए गए टैरिफ़ बढ़ोतरी (steep tariff hike) के निहितार्थों (implications) की समीक्षा की जाएगी। (Source Text)
भारत की 'सुपर स्ट्रैटेजी': 20,000 करोड़ का निर्यात संवर्धन मिशन
अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने और अपने निर्यात आधार (export base) को विस्तृत (broaden) करने के प्रयासों के तहत, भारत सरकार 20,000 करोड़ रुपये के एक महत्वाकांक्षी निर्यात संवर्धन मिशन (export promotion mission) की योजना बना रही है। (Source Text) यह पहल भारतीय निर्यातकों (Indian exporters) को वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं (global trade uncertainties) से बचाने के उद्देश्य से शुरू की जा रही है।
यह मिशन वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry), MSME मंत्रालय (Ministry of MSME), और वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) सहित विभिन्न मंत्रालयों का एक सहयोगात्मक प्रयास (collaborative effort) होगा। (Source Text) उम्मीद है कि इस मिशन को अगस्त तक अंतिम रूप (finalised by August) दिया जाएगा और सितंबर तक लागू (rolled out by September) किया जाएगा।
इस योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारतीय व्यवसाय वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक बने रहें और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में बदलावों से प्रभावित न हों। यह भारत के लिए एक मजबूत आर्थिक रणनीति का हिस्सा है जो आयात पर निर्भरता कम करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने पर भी केंद्रित है।
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