Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते की बातचीत एक बार फिर अधर में लटक गई है। हालाँकि ईरान ने बातचीत के लिए अपनी तत्परता दिखाई है, लेकिन उसने एक बड़ी और चौंकाने वाली शर्त रखी है। ईरान ने कहा है, "जब तक लिखित गारंटी नहीं मिल जाती कि अमेरिका दोबारा हमला नहीं करेगा, तब तक कोई बातचीत नहीं होगी।" इसके अलावा, ईरान ने अमेरिकी हमलों से हुए नुकसान की भरपाई की भी माँग की है।
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने एक फ्रांसीसी अखबार को दिए साक्षात्कार में यह जानकारी दी। ईरान और इज़राइल के बीच युद्ध के दौरान अमेरिका ने ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर बमबारी की थी, जिससे ईरान को भारी नुकसान पहुँचा था।
अराघची ने स्पष्ट किया कि "कूटनीति का रास्ता बंद नहीं है, बल्कि यह दोतरफ़ा है। अमेरिका को अपने कार्यों की ज़िम्मेदारी लेनी होगी, खासकर ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हाल ही में हुए हमलों की।"
अराघची ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि हवाई हमलों में ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से नष्ट हो गया था। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी का हवाला देते हुए, अराघची ने कहा, "परमाणु कार्यक्रम को केवल कुछ महीनों के लिए रोका गया है।" उन्होंने आगे कहा, "अमेरिकी हमले से हमारी शांतिपूर्ण परमाणु सुविधाओं को गंभीर नुकसान पहुँचा है। हम अभी भी इसका आकलन कर रहे हैं। हमें मुआवज़ा माँगने का पूरा अधिकार है।"
परमाणु कार्यक्रम नहीं रुकेगा
ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को रोकने से साफ़ इनकार कर दिया है। अराघची ने कहा, "यह मानना ग़लत है कि हम अपनी ऊर्जा, चिकित्सा और कृषि ज़रूरतों को पूरा करने वाले परमाणु कार्यक्रम को छोड़ देंगे।" उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि ईरान की परमाणु गतिविधियाँ IAEA की निगरानी में हैं और अंतर्राष्ट्रीय क़ानून का पालन करती हैं।
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