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इजराइल हमास जंग में ईरान निरंतर हमास के पक्ष में बयान दे रहा है। यहां तक कि इजराइल को अंजाम भुगतने की धमकी भी दे चुका है। किंतु, अभी तक जंग से दूरी बनाए हुए है। इजराइल हमास जंग को 17 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं। अमेरिका ने दो युद्धपोत भी इजराइल के पास तैनात कर दिए हैं। ये युद्धपोत जंग में सीधा हिस्सा नहीं ले रहे, किंतु, इजरायली फौज को सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं।

ऐसे में ईरान अभी तक जंग में एंट्री क्यों नहीं कर रहा, इसे लेकर एक्सपर्ट कई अनुमान लगा रहे थे। अब एक रिपोर्ट में एक ऐसी बात पता चली है जो आपको चौंका सकती है। ईरान के जंग में एंट्री नहीं करने की वजह अमेरिका नहीं है बल्कि ईरान की जनता है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ईरान आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इसके अलावा हिजाब आंदोलन ने भी सरकार को परेशान कर रखा है और ईरान का एक वर्ग सरकार को लेकर असंतोष से भरा हुआ है।

ईरान के साथ समस्या ये भी है कि ईरान मिडिल ईस्ट के पूरे क्षेत्र में रीजनल मैनेजर बनने की कोशिश कर रहा था। अब जंग में इंटरफेयर नहीं करने से उसकी इस प्लानिंग को झटका लग रहा है।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नाम न छापने की शर्त पर ईरानी अफसरों ने बताया कि काफी वक्त से हमास के समर्थन में खड़ा ईरान इस संघर्ष को मैनेज करने के प्रयास में दुविधा में है, क्योंकि गाजा पर इजरायली हमले को दूर से देखते रहने से उसके ईरान द्वारा अपनाई गई क्षेत्रीय प्रभुत्व की रणनीति को झटका लग रहा है।

ईरान को सता रहा है ये डर

दूसरी ओऱ अमेरिकी समर्थित इजराइल के विरूद्ध कोई भी बड़ा हमला ईरान पर भारी असर डाल सकता है क्योंकि पहले से ही देश आर्थिक संकट में फंसा है और धार्मिक शासकों के विरूद्ध जनता का गुस्सा भड़क सकता है।

हालांकि कुछ सुरक्षा अफसरों ने गुपचुप रूप से यह भी दावा किया कि शीर्ष नेताओं के बीच आम सहमति बन गई है। अब गाजा से 200 किलोमीटर दूर और निचले इलाकों में इजरायली सेना के ठिकानों पर लेबनानी समूह हिजबुल्ला द्वारा सीमित छापेमारी की रणनीति ही अपनाई जाएगी। ईरान किसी भी बड़े तनाव से बचना चाहता है

 

 

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