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Up Kiran, Digital Desk: मध्य पूर्व का आसमान इन दिनों बारूद की गंध से भरा हुआ है। शनिवार तड़के, जब दुनिया सो रही थी, ईरान ने इजरायल पर सैकड़ों ड्रोन और मिसाइलों से हमला कर नई जंग की शुरुआत कर दी। हमलों में कम से कम तीन लोगों की मौत और 150 से अधिक के घायल होने की खबरें हैं। उधर, इजरायल का दावा है कि उसने बड़ी संख्या में मिसाइलों और ड्रोन को लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही हवा में ढेर कर दिया।

ईरानी राज्य मीडिया ने इस हमले को "इजरायल की आक्रामकता का जवाब" बताते हुए जश्न में मनाया, मगर हकीकत कुछ और भी कहती है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्टों के अनुसार, तेहरान की योजना 1000 मिसाइलों की ताबड़तोड़ बमबारी की थी, मगर हकीकत में सिर्फ 100 मिसाइलें ही इकट्ठा हो सकीं।

क्यों नाकाम हुई ईरान की रणनीति

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने खुद सेना को इजरायल पर हमला करने का निर्देश दिया था। IRGC (इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स) के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि योजना थी इजरायली एयर डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह खत्म करके अधिकतम नुकसान पहुंचाने की।

मगर इजरायल के पूर्व-हमलों ने ही ईरान की मिसाइल व्यवस्था को गहरा नुकसान पहुंचाया। मिसाइलों को गोदामों से निकालकर लॉन्चपैड पर पहुंचाना लॉजिस्टिक तौर पर लगभग असंभव हो गया। नतीजतन, ईरान की पहली जवाबी कार्रवाई सीमित रही।

 

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