
Up Kiran, Digital Desk: सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच एक नए रक्षा समझौते ने दक्षिण एशिया की राजनीति में हलचल मचा दी है। भारत के लिए यह खबर थोड़ी चिंता बढ़ाने वाली है, क्योंकि सऊदी अरब जहां भारत का एक अहम दोस्त और रणनीतिक साझेदार है, वहीं पाकिस्तान उसका सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी। ऐसे में हर किसी की नजर इस बात पर थी कि भारत इस 'नई दोस्ती' पर क्या प्रतिक्रिया देता है।
शुक्रवार को जब विदेश मंत्रालय से इस बारे में सवाल पूछा गया, तो भारत ने न तो इस समझौते का स्वागत किया और न ही इसकी कड़ी आलोचना की।
भारत का सधा हुआ और कूटनीतिक जवाब
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बहुत ही सधा हुआ और कूटनीतिक जवाब देते हुए कहा कि भारत इस समझौते से अवगत है और हम अपने द्विपक्षीय संबंधों को स्वतंत्र रूप से देखते हैं।
उन्होंने कहा, "हम अपने हितों और दोनों देशों (सऊदी अरब और पाकिस्तान) के साथ अपनी-अपनी संवेदनशीलताओं को ध्यान में रखकर आगे बढ़ेंगे।"
इस बयान का असली मतलब क्या है?
दूसरे शब्दों में, भारत ने सीधे तौर पर कुछ भी कहने से बचते हुए एक बहुत ही स्पष्ट संदेश दे दिया है। संदेश यह है कि सऊदी अरब हमारा दोस्त है, लेकिन हम इस समझौते पर करीब से नजर बनाए हुए हैं और हम यह भी देखेंगे कि इसका भारत की सुरक्षा पर कोई असर तो नहीं पड़ता।
भारत का यह संतुलित बयान उसकी सधी हुई कूटनीति का एक बेहतरीन उदाहरण है। एक तरफ वह सऊदी अरब जैसे महत्वपूर्ण खाड़ी देश के साथ अपने मजबूत रिश्ते को खराब नहीं करना चाहता, जो ऊर्जा सुरक्षा से लेकर लाखों भारतीयों के रोजगार तक, हर लिहाज से बहुत जरूरी है। तो दूसरी तरफ, वह पाकिस्तान के साथ उसके किसी भी सैन्य गठजोड़ को हल्के में नहीं ले सकता।