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Up Kiran, Digital Desk: पिछले कुछ वर्षों में टेस्ट क्रिकेट की दुनिया में ‘बैजबॉल’ नाम की एक नई शैली उभरी है, जिसने खासकर छोटे क्रिकेटing देशों पर अपनी छाप छोड़ी है। इस नए दौर की शुरुआत 2022 में इंग्लैंड के सरजमीं पाकिस्तान में हुए टेस्ट मैच के दौरान हुई, जब इंग्लैंड ने पहले दिन ही 500 रन से ऊपर का स्कोर बना कर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस तरह का आक्रामक और दबाव बनाने वाला खेल शैली सचमुच टेस्ट क्रिकेट के पुराने स्वरूप को चुनौती देने लगी।

लेकिन जैसे-जैसे मैच बड़े और मजबूत टीमों के खिलाफ हुए, ‘बैजबॉल’ के जादू की पोल खुलती गई। भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे क्रिकेट के दिग्गजों के सामने इंग्लैंड का यह दबंगपन कमज़ोर पड़ता दिखा। जब लीड्स में इंग्लैंड ने पहली पारी में भले ही अच्छी शुरुआत की, लेकिन भारत ने अगले मैच में जबरदस्त वापसी करते हुए 336 रनों से जीत हासिल की। तब से इंग्लैंड का ‘बैजबॉल’ तिकड़म वाला खेल ज्यादा असर नहीं दिखा सका।

विश्लेषण से पता चलता है कि इस नई शैली के बावजूद, इंग्लैंड ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अभी तक कोई भी टेस्ट सीरीज अपने नाम नहीं की है। इस दौरान इंग्लैंड ने दोनों टीमों के खिलाफ कुल 16 टेस्ट मैच खेले, जिनमें से 6 में उसे जीत मिली तो 8 में उसे हार का सामना करना पड़ा, जबकि 2 मैच ड्रॉ रहे। वहीं, छोटे या नए क्रिकेटिंग देशों के खिलाफ इंग्लैंड का रिकॉर्ड काफी मजबूत है—25 मैचों में 19 जीत, केवल 6 हार और 1 ड्रॉ।

यह आंकड़े इंग्लैंड की उस रणनीति की कमजोरियां भी उजागर करते हैं, जो छोटी टीमों को दबाने में सफल हो, लेकिन जब टक्कर बड़ी टीमों से हो तो दबाव में आसानी से टूट जाती है। इस तथ्य ने साबित कर दिया है कि ‘बैजबॉल’ की आक्रामकता केवल सीमित परिस्थितियों में ही काम करती है और भारत-ऑस्ट्रेलिया जैसी क्रिकेट महाशक्तियों के सामने इंग्लैंड को पारंपरिक खेल शैली पर लौटना पड़ा है।

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