
Up Kiran, Digital Desk: सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में INDIA गठबंधन के विपक्षी नेताओं का चुनाव आयोग कार्यालय तक का नियोजित मार्च दिल्ली पुलिस द्वारा रोक दिया गया। यह विरोध प्रदर्शन बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision - SIR) और 2024 के लोकसभा चुनावों में कथित अनियमितताओं के खिलाफ था। इस घटना ने संसद के गलियारों में भी जोरदार हंगामा मचाया, जिससे संसद की कार्यवाही बाधित हुई।
संसद से चुनाव आयोग तक, राहुल-प्रियंका का नेतृत्व
दोपहर 11:30 बजे संसद के मकर द्वार से शुरू हुए इस मार्च में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, शरद पवार जैसे प्रमुख विपक्षी नेता शामिल थे। 300 से अधिक विपक्षी सांसदों ने इस जुलूस में हिस्सा लिया, जिसका उद्देश्य परिवहन भवन होते हुए निर्वाचन सदन स्थित चुनाव आयोग के कार्यालय तक पहुंचना था। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने मार्च को बीच में ही रोक दिया, यह कहते हुए कि इसके लिए कोई औपचारिक अनुमति प्राप्त नहीं की गई थी। पुलिस की इस कार्रवाई ने विपक्षी नेताओं के बीच आक्रोश पैदा कर दिया।
बिहार के चुनावी मुद्दे पर घमासान
यह विरोध प्रदर्शन विशेष रूप से बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (SIR) की प्रक्रिया और हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान मतदाता धोखाधड़ी के आरोपों पर केंद्रित था। आरजेडी सांसद मनोज झा ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग के रुख की कड़ी आलोचना की। उन्होंने SIR प्रक्रिया को धोखाधड़ी करार दिया और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद आयोग द्वारा वर्गीकृत डेटा को रोके रखने का आरोप लगाया। विपक्ष का कहना है कि यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ खिलवाड़ है।
संसद में विपक्ष का हंगामा, कार्यवाही बाधित
इस विवाद के चलते संसदीय कार्यवाही भी बुरी तरह प्रभावित हुई। बिहार की चुनावी मतदाता सूची के संशोधन पर बहस की मांग को लेकर विपक्षी दलों के निरंतर विरोध के कारण लोकसभा को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा। विपक्षी सांसदों ने सदन में नारेबाजी की और प्लेकार्ड प्रदर्शित किए, जिसके चलते अध्यक्ष ओम बिरला को प्रश्नकाल जारी रखने का प्रयास करने के बाद कार्यवाही को निलंबित करने पर मजबूर होना पड़ा। यह घटना भारतीय लोकतंत्र में निष्पक्ष चुनावों और पारदर्शी चुनावी प्रक्रियाओं की मांग को उजागर करती है।
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