img

Up Kiran, Digital Desk: गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को हिन्दुस्तान बिहार समागम में सीधे-सपाट अंदाज़ में कई ज्वलंत सवालों के जवाब दिए। मंच पर उन्होंने घुसपैठ के मसले से लेकर बिहार की कानून व्यवस्था, एनडीए की सीटों को लेकर उठे विवाद, और आगामी चुनावी रणनीति तक पर खुलकर अपनी बात रखी।

शाह ने दो टूक कहा कि एनडीए में किसी तरह का मतभेद नहीं है।  उन्होंने कहा कि हर पार्टी की अपनी मांग होती है लेकिन जब सीटें तय हो जाती हैं तो पूरा गठबंधन मिलकर काम करता है।

राहुल गांधी द्वारा लगाए गए ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर भी उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया दी। “जो देश का नागरिक नहीं है, वह यह कैसे तय करेगा कि भारत का प्रधानमंत्री कौन होगा?” शाह ने पलटवार करते हुए कहा।

SIR पर घमासान: क्या घुसपैठियों से डर रही विपक्षी राजनीति?

मुख्य संपादक शशि शेखर के सवालों का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि अगर चुनाव आयोग की SIR प्रक्रिया के जरिये अवैध घुसपैठियों की पहचान की जाती है, तो इसमें आपत्ति क्यों हो रही है? उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दल जानबूझकर घुसपैठ को बढ़ावा देकर अपने वोट बैंक को मज़बूत करते रहे हैं।

शाह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की मांग है कि SIR की जांच पूरे देश में लागू हो और अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहचान करके उन्हें बाहर निकाला जाए।

जब उनसे पूछा गया कि घुसपैठ रोकने की ज़िम्मेदारी केंद्र की है, और इसमें अब तक कितनी सफलता मिली है, तो उन्होंने ज़मीन पर मौजूद जटिलताओं की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि बॉर्डर कोई सीधी रेखा नहीं होती। मौसम, नदी, पहाड़, बर्फबारी—इन सभी कारकों के चलते 24 घंटे निगरानी आसान नहीं होती।

जंगलराज की वापसी या खत्म हो चुका अतीत?

बिहार में जंगलराज की बहस पर शाह ने याद दिलाया कि अब की पीढ़ी उस दौर को भूल चुकी है। उन्होंने कहा मैं उन्हें फिर से याद दिलाने आया हूं कि 20 साल पहले बिहार कैसा था।

शाह के मुताबिक, पहले दशक में कानून व्यवस्था को दुरुस्त किया गया। अपहरण, नरसंहार, फिरौती जैसे मामलों पर लगाम लगी। दूसरे दशक में राज्य में आधारभूत ढांचे का विकास हुआ। उन्होंने बताया कि गंगा नदी पर 10 नए पुलों का निर्माण हो रहा है, जिनमें से चार बन चुके हैं।

शाह ने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए बताया, “पहले पटना से गया जाने में छह घंटे लगते थे, अब वही सफर दो घंटे में पूरा होता है।”