Up Kiran, Digital Desk: हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट जब किसी कानून या बड़े मसले पर सुनवाई करता है, तो उस पर सबकी नज़र रहती है। हाल ही में, एक ऐसे ही महत्वपूर्ण मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। यह मामला जुड़ा है वक्फ एक्ट, 1995 (Waqf Act, 1995) से।
आप सोच रहे होंगे कि यह वक्फ एक्ट क्या है? सीधे शब्दों में कहें तो यह एक ऐसा कानून है जो भारत में मुस्लिम समुदाय से जुड़ी धार्मिक या धर्मार्थ संपत्तियों (जैसे मस्जिदें, मदरसे, कब्रिस्तान, ट्रस्ट की संपत्तियां) के प्रबंधन, नियंत्रण और प्रशासन से संबंधित है। इन संपत्तियों को 'वक्फ संपत्ति' कहते हैं और इनका प्रबंधन वक्फ बोर्ड करते हैं, जो इसी कानून के तहत काम करते हैं।
अब खबर यह है कि किसी व्यक्ति या समूह ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। इस याचिका में वक्फ एक्ट, 1995 की वैधता (Validity) पर सवाल उठाया गया है। यानी याचिकाकर्ता का कहना है कि शायद यह कानून पूरी तरह से संवैधानिक रूप से सही नहीं है, या इसमें कुछ ऐसी बातें हैं जो ठीक नहीं हैं। (लेख में याचिकाकर्ता के तर्क विस्तार से नहीं बताए गए हैं, लेकिन चुनौती कानून की वैधता को है)।
जब सुप्रीम कोर्ट किसी याचिका पर सुनवाई शुरू करता है और उसे लगता है कि मामला गंभीर है, तो वह संबंधित पक्षों को 'नोटिस' जारी करता है। नोटिस जारी करने का मतलब है कि कोर्ट औपचारिक रूप से केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों से कह रहा है कि इस याचिका में जो आरोप लगाए गए हैं या जो सवाल उठाए गए हैं, उन पर वे अपना पक्ष रखें, अपना जवाब दें, और बताएं कि इस कानून के बारे में उनकी क्या राय है।
यह एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रक्रिया की शुरुआत है। अब केंद्र और राज्य सरकारें सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करेंगी। उसके बाद कोर्ट याचिकाकर्ता और सरकारों दोनों के पक्ष सुनेगा, और फिर यह तय करेगा कि वक्फ एक्ट, 1995 संवैधानिक रूप से सही है या नहीं, या इसमें किसी बदलाव की ज़रूरत है।
यह दिखाता है कि हमारे देश में न्यायपालिका कैसे काम करती है - किसी भी कानून पर अगर सवाल उठता है, तो कोई भी नागरिक अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकता है, और अदालत सभी पक्षों को सुनकर फैसला देती है। वक्फ एक्ट का मामला संवेदनशील है और इससे बड़ी संख्या में लोग और संपत्तियां जुड़ी हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट का यह कदम काफी अहम माना जा रहा है।
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