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Up Kiran, Digital Desk: प्री-टीन उम्र (लगभग 9 से 12 साल) बच्चों के लिए और माता-पिता दोनों के लिए एक जटिल और चुनौतीपूर्ण चरण होता है। यह वह उम्र है जब बच्चे बचपन से किशोरावस्था की ओर संक्रमण कर रहे होते हैं, और इस दौरान उनके शारीरिक, हार्मोनल और भावनात्मक स्तर पर कई बड़े बदलाव आते हैं। अगर आपका प्री-टीन बच्चा अचानक से ज्यादा रोने लगता है, चिड़चिड़ा हो जाता है, या बेवजह गुस्सा करने लगता है, तो यह सामान्य हो सकता है, लेकिन इन बदलावों को समझना और सही तरीके से निपटना महत्वपूर्ण है।

भावनात्मक बदलाव को समझें:
यह समझना ज़रूरी है कि प्री-टीन बच्चे अक्सर अपनी भावनाओं को ठीक से व्यक्त नहीं कर पाते। वे खुद भी उन तीव्र भावनाओं से जूझ रहे होते हैं जो उनके भीतर उठ रही होती हैं। हार्मोनल बदलाव मूड स्विंग्स का कारण बनते हैं, जिससे वे कभी खुश तो कभी अचानक उदास या गुस्सैल हो सकते हैं।

संभावित कारण:

हार्मोनल बदलाव: यह सबसे बड़ा कारण है। शरीर में आ रहे बदलाव सीधे मूड को प्रभावित करते हैं।

सामाजिक दबाव: दोस्त, स्कूल और सामाजिक अपेक्षाएं उन पर दबाव डाल सकती हैं। वे 'कूल' दिखने या दोस्तों के समूह में फिट होने की कोशिश करते हैं।

शैक्षणिक तनाव: स्कूल का बढ़ता बोझ, परीक्षाओं का दबाव, और बेहतर प्रदर्शन करने की अपेक्षाएं तनाव पैदा कर सकती हैं।

आत्म-छवि की चिंता: इस उम्र में बच्चे अपने शरीर और दिखावट को लेकर बहुत सचेत हो जाते हैं। उन्हें अपने सहपाठियों के साथ तुलना करने की आदत हो सकती है, जिससे आत्मविश्वास में कमी आ सकती है।

नींद की कमी: पर्याप्त नींद न मिलना चिड़चिड़ापन और मूड में बदलाव का एक बड़ा कारण है।

डिजिटल दुनिया का प्रभाव: सोशल मीडिया और स्क्रीन टाइम का अत्यधिक उपयोग बच्चों में तुलना, FOMO (फीयर ऑफ मिसिंग आउट) और चिंता बढ़ा सकता है।

माता-पिता क्या करें?

खुला संचार बनाएँ: अपने बच्चे के साथ बात करने का माहौल बनाएं। उन्हें बताएं कि आप उनकी भावनाओं को समझते हैं और वे सुरक्षित रूप से आपसे कुछ भी साझा कर सकते हैं।

सहानुभूति दिखाएं: उनके गुस्से या उदासी को खारिज न करें। "मुझे पता है यह मुश्किल है" या "यह ठीक है अगर तुम ऐसा महसूस कर रहे हो" जैसे वाक्य मदद कर सकते हैं।

उनकी बात सुनें: न्याय किए बिना उनकी बात धैर्य से सुनें। कभी-कभी उन्हें बस अपनी बात कहने के लिए एक कान की जरूरत होती है।

नियम और सीमाएँ तय करें: भले ही वे बड़े हो रहे हैं, उन्हें अभी भी स्पष्ट सीमाओं और दिनचर्या की आवश्यकता होती है, खासकर स्क्रीन टाइम और सोने के समय के लिए।

आत्म-सम्मान बढ़ाएं: उनकी उपलब्धियों की सराहना करें, उन्हें नई चीजें सीखने के लिए प्रोत्साहित करें, और उन्हें बताएं कि वे कितने महत्वपूर्ण हैं।

विशेषज्ञ की मदद: यदि मूड स्विंग्स बहुत गंभीर हैं, लगातार हो रहे हैं, या बच्चे के सामान्य जीवन को प्रभावित कर रहे हैं, तो किसी बाल मनोवैज्ञानिक या परामर्शदाता से सलाह लेने में संकोच न करें।

प्री-टीन उम्र चुनौतियों से भरी हो सकती है, लेकिन सही समर्थन और समझ के साथ, आप अपने बच्चे को इस संक्रमण काल से सफलतापूर्वक गुजरने में मदद कर सकते हैं।

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