img

Up Kiran, Digital Desk: देशभर में पहचान का सबसे भरोसेमंद दस्तावेज बन चुका आधार कार्ड अब असम में नए नियमों की कसौटी पर खरा उतरना होगा। असम सरकार अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या पर लगाम कसने के लिए आधार पंजीकरण प्रक्रिया को और सख्त करने की तैयारी कर रही है। जल्द ही राज्य में वयस्कों को आधार जारी करने से पहले जिला उपायुक्त (DC) की अनुमति लेना अनिवार्य हो सकता है।

CM हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को संकेत दिए कि सरकार एक ऐसे प्रस्ताव पर काम कर रही है, जिसके तहत वयस्क नागरिक तभी आधार बनवा सकेंगे, जब उन्हें जिला प्रशासन से मंजूरी मिल जाए। हालांकि अभी इस पर औपचारिक मुहर नहीं लगी है, लेकिन अगली कैबिनेट बैठक में इसे स्वीकृति मिल सकती है।

क्यों लिया जा रहा है यह फैसला?

सरकार का मानना है कि असम में सीमा पार से आने वाले अवैध प्रवासियों, खासकर बांग्लादेशी नागरिकों, के लिए फर्जी दस्तावेजों के जरिए आधार बनवाना अब तक आसान रहा है। ऐसे मामलों को रोकने के लिए यह कदम जरूरी माना जा रहा है। CM सरमा ने साफ किया कि इस नई व्यवस्था का उद्देश्य केवल उन लोगों को पहचान पत्र देना है, जो वास्तविक भारतीय नागरिक हैं।

अभी तक कैसे बनता है आधार?

अब तक आधार कार्ड बनवाने के लिए किसी उच्चाधिकारी की स्वीकृति की जरूरत नहीं होती थी। नागरिक आधार केंद्रों पर जाकर तय दस्तावेज जैसे पैन कार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस या राशन कार्ड जमा कर सीधे प्रक्रिया पूरी कर सकते थे। बच्चों के मामले में उनके माता-पिता के आधार की आवश्यकता होती है।

कितनों को अब आधार की जरूरत?

मुख्यमंत्री के अनुसार, असम के अधिकतर नागरिक पहले ही आधार बनवा चुके हैं। अब केवल कुछ गिने-चुने लोग ही आधार के लिए आवेदन कर रहे हैं। ऐसे में सरकार चाहती है कि इस सीमित संख्या में आने वाले आवेदनों की जांच अच्छी तरह हो, ताकि गलत हाथों में पहचान न पहुंचे।

सरकार का स्पष्ट संदेश

सरमा ने जोर देकर कहा कि इस प्रस्ताव का मकसद किसी भी वैध भारतीय नागरिक को परेशान करना नहीं है। बल्कि यह अवैध आप्रवासियों द्वारा देश की प्रणाली का दुरुपयोग रोकने की दिशा में एक सख्त लेकिन जरूरी कदम है।

क्या हो सकते हैं इसके असर?

अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है, तो असम देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा जहां वयस्क नागरिकों को आधार कार्ड बनवाने के लिए प्रशासनिक मंजूरी की जरूरत होगी। इससे जहां पहचान प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी, वहीं यह देखना दिलचस्प होगा कि इससे असम में रह रहे वास्तविक भारतीय नागरिकों की सुविधा पर क्या असर पड़ता है।