_879190439.png)
Up Kiran, Digital Desk: सोमवार से जीएसटी 2.0 लागू हो गया है और इसके साथ ही देश की 375 से अधिक रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ती हो गई हैं। इस बदलाव से दूध, मक्खन, दवाइयाँ, टीवी, वाशिंग मशीन, बाइक और यहां तक कि हेल्थ क्लब सेवाएं भी अब पहले से कम कीमत पर मिलेंगी।
लेकिन हर राहत की एक कीमत होती है – और इस बार कीमत चुकानी पड़ सकती है सरकार को।
केंद्र सरकार को इस नई टैक्स स्ट्रक्चर से करीब 2 लाख करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है।
कौन-कौन सी चीजें हुईं सस्ती?
खाद्य पदार्थ
अब दूध, पनीर, मक्खन, चाय, कॉफी, अनाज, बिस्किट, जूस, सूखे मेवे, मांस, जेली और पीने का पानी कम कीमत में मिलेगा।
सौंदर्य और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स
साबुन, शैम्पू, तेल, फेस क्रीम, शेविंग क्रीम, टैल्कम पाउडर – सब पर जीएसटी घटाया गया है।
दवाइयाँ और हेल्थ प्रोडक्ट्स
बिना डॉक्टर की पर्ची वाली दवाएँ, जेनेरिक मेडिसिन, डायग्नोस्टिक किट, और ग्लूकोमीटर अब सस्ते मिलेंगे।
इलेक्ट्रॉनिक्स
टेलीविज़न, फ्रिज, एसी, वॉशिंग मशीन जैसी आम उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स की कीमतों में भी कमी आई है।
क्या हुआ महँगा?
हानिकारक उत्पाद जैसे तंबाकू, पान मसाला, वेटेड ड्रिंक्स, सिगरेट, रिवॉल्वर, पिस्टल, याट और महँगी बाइक अब 40% स्लैब में डाल दी गई हैं। यानी इनकी कीमतें बढ़ेंगी।
सरकार को कितना नुकसान?
वित्त मंत्रालय ने लगभग ₹48,000 करोड़ के नुकसान का अनुमान जताया है। लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो असल नुकसान ₹1.5 लाख करोड़ से ₹2 लाख करोड़ तक जा सकता है।
पूर्व आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग के मुताबिक, 2025-26 तक का समायोजित नुकसान लगभग ₹1.1 लाख करोड़ हो सकता है। इसके अलावा, सरकार को हर साल मिलने वाला ₹1.4 लाख करोड़ का जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर भी नहीं मिलेगा।
अगर सरकार 40% टैक्स वाले उत्पादों से कुछ हिस्सा वसूल भी ले, तब भी कुल शुद्ध घाटा करीब ₹2 लाख करोड़ का होगा।