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Up Kiran, Digital Desk: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने गुरुवार को उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 'स्वास्थ्य कारणों' का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे के पीछे कुछ राजनीतिक अटकलें भी लगाई जा रही हैं, जिनमें सरकार के साथ कथित तनाव की भी बात शामिल है।

उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है, और नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 25 अगस्त होगी। यदि आवश्यक हुआ, तो 9 सितंबर को मतदान और उसी दिन मतगणना भी होगी। इस महत्वपूर्ण संवैधानिक पद के लिए उम्मीदवार चुनने को लेकर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और कांग्रेस के नेतृत्व वाला INDIA ब्लॉक, दोनों ने ही अपने पत्ते नहीं खोले हैं, जिससे अटकलों का दौर जारी है। कुछ राजनीतिक पंडितों का मानना है कि चूंकि उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य मिलकर करते हैं, और इसमें राज्य विधानसभाएं हिस्सा नहीं लेतीं, इसलिए सत्ताधारी दल का बहुमत तय है।

बी.डी. जत्ती : मुख्यमंत्री से उपराष्ट्रपति और फिर कार्यवाहक राष्ट्रपति तक का सफर

बसप्पा दनप्पा जत्ती (Basappa Danappa Jatti) ने 31 अगस्त, 1974 से 30 अगस्त, 1979 तक भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में सेवा की। इस प्रतिष्ठित पद के लिए चुने जाने से पहले, जत्ती ने 16 मई, 1958 से 9 मार्च, 1962 तक मैसूर राज्य (वर्तमान कर्नाटक) के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने मैसूर राज्य में भूमि सुधारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

मुख्यमंत्री के पद के अलावा, जत्ती ने कई अन्य महत्वपूर्ण भूमिकाएँ भी निभाईं। वह 14 अक्टूबर, 1968 से 7 नवंबर, 1972 तक पुदुचेरी के उपराज्यपाल रहे, और उसके बाद 8 नवंबर, 1972 से 20 अगस्त, 1974 तक ओडिशा के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। अपने उपराष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान, 11 फरवरी, 1977 से 25 जुलाई, 1977 तक, वह तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के निधन के बाद भारत के कार्यवाहक राष्ट्रपति भी रहे।

शंकर दयाल शर्मा : मुख्यमंत्री से राष्ट्रपति तक की असाधारण राजनीतिक यात्रा

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (Shankar Dayal Sharma) ने 3 सितंबर, 1987 से 25 जुलाई, 1992 तक भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में अपनी सेवाएँ दीं। इस पद को संभालने से पहले, उन्होंने 31 मार्च, 1952 से 31 अक्टूबर, 1956 तक भोपाल राज्य (वर्तमान मध्य प्रदेश में विलय होने से पहले) के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक सक्रिय सिपाही भी रहे हैं।

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