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Up Kiran, Digital Desk: कनाडा में हाल ही में हुए संघीय चुनाव में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता जगमीत सिंह की हार ने न केवल उनकी पार्टी की स्थिति को झटका दिया बल्कि भारत और कनाडा के कूटनीतिक और व्यापारिक संबंधों को पुनः स्थापित करने के लिए एक नई उम्मीद भी जगाई। सिंह की हार को लेकर राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में कई तरह की प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं जिनमें से एक अहम पहलू यह है कि उनकी पराजय से उन विवादों को भी ठंडा करने का मौका मिल सकता है जो पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ जुड़े थे।

सिंह की हार और भारत-कनाडा संबंधों पर इसका असर

जगमीत सिंह की हार को एक स्वागत योग्य अवसर के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि उनके और ट्रूडो द्वारा उठाए गए खालिस्तान समर्थक आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जुड़े आरोपों ने भारत और कनाडा के रिश्तों को काफी तनावपूर्ण बना दिया था। इन आरोपों को बिना किसी ठोस सबूत के बार-बार दोहराना न केवल कूटनीतिक संबंधों को प्रभावित करता है बल्कि व्यापारिक समझौतों और दोनों देशों के नागरिकों के बीच भी भ्रम और संदेह पैदा करता है।

सिंह की ब्रिटिश कोलंबिया के बर्नबाई सेंट्रल सीट पर वेड चांग से हार ने यह भी साबित किया कि कनाडा के लोग अब इन विवादों से उबरना चाहते हैं और एक ऐसे नेतृत्व का समर्थन करना चाहते हैं जो रिश्तों को ठंडा करने के बजाय सुधारने की दिशा में काम करें।

एनडीपी की पराजय और सिंह के इस्तीफे का संकेत

यह चुनाव एनडीपी के लिए खासा निराशाजनक साबित हुआ। पार्टी का प्रदर्शन उम्मीदों से कहीं नीचे रहा और उन्हें ‘किंगमेकर’ के रूप में अपनी भूमिका को निभाने का मौका भी नहीं मिला। कनाडाई मीडिया का अनुमान है कि एनडीपी चौथे स्थान पर रह सकती है जबकि क्यूबेक ब्लॉक और कंजर्वेटिव पार्टी ने प्रभावशाली जीत हासिल की है।

सिंह के नेतृत्व में पार्टी की पराजय और उनका इस्तीफा यह संकेत देता है कि कनाडा के मतदाता अब उन मुद्दों से थक चुके हैं जो देश की आंतरिक राजनीति और विदेश नीति में अस्थिरता पैदा करते हैं। सिंह ने एक ट्वीट में अपनी हार स्वीकार करते हुए कहा "एनडीपी का नेतृत्व करना और बर्नबाई सेंट्रल के लोगों का प्रतिनिधित्व करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है।"

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