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Up Kiran, Digital Desk: राजस्थान के जैसलमेर जिले के डांगरी गांव की तस्वीर इन दिनों बिल्कुल अलग हो गई है। यह जगह किसी सामान्य गांव जैसी नहीं दिखती, बल्कि जैसे कोई बड़ी घटना घट गई हो। गांव के हर कोने पर पुलिस तैनात है और सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। इस अचानक हुए बदलाव की वजह है एक किसान की मौत, जिसने शिकारियों को रोकने की कोशिश की थी।

शिकार रोकने पर मिली जान की कीमत

यह कहानी शुरू होती है डांगरी के पास एक खेत में सो रहे 50 साल के किसान खेतसिंह से। रात के अंधेरे में कुछ हमलावर खेतसिंह के पास पहुंचे। ये लोग साफ तौर पर बदला लेने आए थे। कुछ दिन पहले खेतसिंह ने शिकार करने आए लोगों को हिरण का शिकार न करने की हिदायत दी थी। यही बात उनके लिए घातक साबित हुई।

बेरहमी से किया गया हमला

हमलावरों ने बिना किसी शर्म के खेतसिंह पर हमला कर दिया। लाठियों और डंडों से पीट-पीटकर उन्हें अधमरा कर दिया। फिर वे वहां से भाग निकले। पूरी रात खेतसिंह बेसुध जमीन पर पड़े रहे। जब सुबह पड़ोसी उन्हें देखने गए, तो वह चारपाई से गिरा हुआ, खून से लथपथ मिला।

इलाज के बाद किसान की मौत, गांव में गुस्से का माहौल

खेतसिंह को फतेहगढ़ के सीएचसी पहुंचाया गया और फिर बाड़मेर रेफर किया गया। मगर इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। यह खबर जैसे ही गांव में फैली, पूरा माहौल बदल गया। लोग दुखी और गुस्से में आ गए। बाजार बंद हो गए और लोगों ने तीन दुकानों को आग लगा दी।

प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया

स्थिति बिगड़ती देख प्रशासन ने तुरंत कदम उठाए। जिला कलेक्टर प्रताप सिंह और एसपी अभिषेक शिवहरे मौके पर पहुंचे। अतिरिक्त पुलिस बल बुलाकर गांव को पूरी तरह से पुलिस के घेरे में ले लिया गया। अब डांगरी की गलियों में 400 से अधिक पुलिस जवान तैनात हैं। एसपी ने लोगों से कहा है कि वे घरों में रहें।

गांव में भय और सवालों का सूनापन

हालांकि सड़कों पर सन्नाटा है, लेकिन हर चेहरे पर डर साफ झलकता है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या सिर्फ शिकार रोकने के कारण किसी की जान लेना सही है? ग्रामीणों को डर है कि कहीं ऐसे और भी हमले न हों।

मंत्री का बयान और ग्रामीणों की नाराजगी

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोशल मीडिया पर इस घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक समाज में इस तरह के अपराध की कोई जगह नहीं है। दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी और पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा। फिर भी, ग्रामीण पूछते हैं कि वन विभाग और प्रशासन शिकारियों पर सख्ती क्यों नहीं बरतते? क्या कारण है कि शिकार करने वालों के हौसले इतने बुलंद हैं?