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Up Kiran, Digital Desk: पंजाब में हर साल सर्दियों की शुरुआत में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने इस बार कमर कस ली है। भगवंत मान सरकार ने ऐलान किया है कि अब सैटेलाइट के जरिए खेतों में पराली जलाने की घटनाओं पर रियल-टाइम में नजर रखी जाएगी और किसानों को ऐसा करने से रोकने के लिए समझाया जाएगा।

कैसे काम करेगा यह सिस्टम?

पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर (PRSC) सैटेलाइट से मिलने वाले डेटा का इस्तेमाल करेगा। जैसे ही किसी खेत में आग जलाने की घटना होगी, उसकी सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों तक पहुंच जाएगी। इसके बाद, सरकार द्वारा तैनात किए गए नोडल ऑफिसर मौके पर जाकर किसानों से बात करेंगे और उन्हें पराली जलाने के नुकसान और इसके दूसरे विकल्पों के बारे में समझाएंगे।

इस साल, सरकार ने राज्य में लगभग 9,000 नोडल अधिकारी तैनात किए हैं जो इस काम को अंजाम देंगे।

इस बार सख्ती के साथ-साथ संवाद पर भी जोर

मुख्य सचिव अनुराग वर्मा ने बताया कि सरकार का मकसद सिर्फ जुर्माना लगाना या सख्ती करना नहीं, बल्कि किसानों को जागरूक करना भी है। उन्होंने कहा कि किसानों को समझाया जाएगा कि पराली जलाने से न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान होता है, बल्कि जमीन की उपजाऊ शक्ति भी कम होती है।

हालांकि, यह भी साफ कर दिया गया है कि अगर समझाने के बावजूद कोई किसान पराली जलाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और "रेड एंट्री" दर्ज की जाएगी, जिससे उसे भविष्य में सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में मुश्किल हो सकती है।

सरकार की क्या है तैयारी?रियल-टाइम मॉनिटरिंग: सैटेलाइट के जरिए 24 घंटे खेतों की निगरानी होगी।

किसानों से सीधा संवाद: 9,000 नोडल अधिकारी किसानों को जागरूक करेंगे।

मशीनरी का इंतजाम: किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) के लिए 1.07 लाख मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं, जिससे पराली को बिना जलाए खेत से हटाया जा सके।

पंचायतें भी होंगी सम्मानित: जो पंचायतें अपने गांव में पराली जलाने की एक भी घटना नहीं होने देंगी, उन्हें सरकार द्वारा सम्मानित किया जाएगा।

पिछले साल पंजाब में पराली जलाने की 36,664 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जिससे दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक लेवल पर पहुंच गया था। सरकार को उम्मीद है कि इस नई रणनीति से इन घटनाओं में भारी कमी आएगी।