
तीन साल के लंबे अंतराल के बाद, कैलाश मानसरोवर यात्रा 30 जून 2025 से फिर से शुरू होने जा रही है और अगस्त तक चलेगी। 2020 से चीन के साथ तनाव के कारण यह यात्रा बंद थी, लेकिन अब जब यात्रा का मार्ग दोबारा खुला है, तो शिवभक्तों में इसे लेकर जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। अगर आप भी इस साल इस पवित्र यात्रा पर जाने की योजना बना रहे हैं, तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि इस यात्रा में कितनी दूरी पैदल तय करनी होती है, आपके फिटनेस स्तर की क्या आवश्यकता होगी और किस तरह की तैयारी करनी चाहिए।
कैलाश मानसरोवर यात्रा में कितनी दूरी तय करनी होती है?
कैलाश मानसरोवर यात्रा में सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा है कैलाश पर्वत की परिक्रमा, जिसे 'कोरा' भी कहा जाता है। इस परिक्रमा के दौरान लगभग 52 से 55 किलोमीटर की कठिन यात्रा करनी पड़ती है। इस सफर को आमतौर पर तीन दिनों में पूरा किया जाता है। यात्रा की शुरुआत होती है 4,600 मीटर ऊंची तारबोचे घाटी से, जहां से श्रद्धालु आगे बढ़ते हैं।
पहला दिन: तारबोचे से डेरेकंप (Dirapuk) तक ट्रेकिंग — करीब 18-20 किलोमीटर।
दूसरा दिन: डेरेकंप से जुतुलफुक (Zutulpuk) तक ट्रेकिंग — लगभग 20-22 किलोमीटर, जिसमें सबसे कठिन डोलमा ला पास (5,630 मीटर) पार करना होता है।
तीसरा दिन: जुतुलफुक से यात्रा समापन तक — लगभग 10-12 किलोमीटर।
साथ ही, मानसरोवर झील की परिक्रमा भी यात्रा का हिस्सा है। यह झील करीब 320 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली हुई है, हालांकि इसकी पूरी परिक्रमा वाहन से कराई जाती है।
अनफिट पाए जाने पर यात्रा हो सकती है रद्द
कैलाश मानसरोवर यात्रा में भाग लेने से पहले, यात्रियों का मेडिकल फिटनेस परीक्षण अनिवार्य है। दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट जैसे प्रतिष्ठित केंद्र इस जांच की व्यवस्था करते हैं, जिसमें कई महत्वपूर्ण टेस्ट किए जाते हैं:
हीमोग्लोबिन टेस्ट
कोलेस्ट्रॉल लेवल चेक
ब्लड शुगर और इंसुलिन टेस्ट
बीएमआई (Body Mass Index) जांच (बीएमआई 27 या उससे कम होना चाहिए)
अगर किसी यात्री को फिटनेस मानदंडों पर खरा नहीं पाया जाता है, तो उसकी यात्रा कैंसल कर दी जाती है। इससे न केवल यात्री की सुरक्षा सुनिश्चित होती है बल्कि पूरी यात्रा समूह के स्वास्थ्य जोखिम को भी कम किया जाता है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए फिटनेस क्यों है जरूरी?
कैलाश मानसरोवर यात्रा कोई आम ट्रेकिंग ट्रिप नहीं है। यह एक हाई-एल्टीट्यूड, चुनौतीपूर्ण तीर्थ यात्रा है, जहां शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की फिटनेस की सख्त आवश्यकता होती है। ऊंचाई के कारण यहां ऑक्सीजन का स्तर सामान्य से कम होता है, जिससे हाइपोक्सिया (ऑक्सीजन की कमी) या एसीयूटी माउंटेन सिकनेस (AMS) का खतरा बढ़ जाता है।
फिटनेस के फायदे:
ऊर्जा स्तर उच्च रहता है: आप अधिक दूरी बिना थके तय कर सकते हैं।
कम थकावट: बेहतर सहनशक्ति से आप कठिन रास्तों पर भी सहजता से चल सकते हैं।
कम दुर्घटना का खतरा: फिट शरीर ऊबड़-खाबड़ रास्तों, बर्फीले ट्रेक और पत्थरीले पथरीले मार्गों पर बेहतर नियंत्रण रखता है।
बेहतर अनुभव: स्वस्थ शरीर से आप यात्रा के हर क्षण का पूरी तरह से आनंद ले सकते हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए कैसे करें तैयारी?
अगर आप कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने का सपना देख रहे हैं, तो आपको कम से कम 3-6 महीने पहले से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। कुछ जरूरी फिटनेस गतिविधियां:
जॉगिंग और ब्रिस्क वॉकिंग: रोजाना 5-8 किलोमीटर तक तेज चलने की आदत डालें।
सीढ़ी चढ़ना-उतरना: ऊंचाई के लिए शरीर को तैयार करने का बेहतरीन तरीका।
साइक्लिंग: सहनशक्ति बढ़ाने में मददगार।
योग और प्राणायाम: फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाने और मानसिक शांति बनाए रखने के लिए।
ऊंचाई पर ट्रेकिंग का अभ्यास: अगर संभव हो तो छोटे पहाड़ी इलाकों में ट्रेकिंग करें ताकि शरीर ऊंचाई के हिसाब से ढल सके।
इसके अलावा, यात्रा से पहले अपनी जीवनशैली में पौष्टिक आहार को शामिल करें, धूम्रपान और शराब से दूर रहें और पर्याप्त नींद लें।
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