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सुप्रीम कोर्ट में बिहार के वोटर वेरिफिकेशन मामले पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि आधार नंबर और वोटर आईडी को जोड़ना या वोटर वेरिफिकेशन कराना चुनाव आयोग का काम नहीं है।

सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग को केवल निष्पक्ष चुनाव कराना है, लेकिन वह अब उन कामों में शामिल हो रहा है जो उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। उन्होंने अदालत से पूछा कि क्या आयोग को यह अधिकार दिया गया है कि वह आधार से वोटर आईडी लिंक कराए? उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया से नागरिकों की गोपनीयता पर खतरा है।

सुनवाई के दौरान सिब्बल ने यह भी बताया कि इस तरह की वेरिफिकेशन प्रक्रिया से लाखों लोगों का नाम वोटर लिस्ट से हट सकता है, खासकर गरीब, प्रवासी और ग्रामीण इलाकों के लोग सबसे ज़्यादा प्रभावित हो सकते हैं।

कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि इस मामले को गंभीरता से देखा जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी नागरिक के वोट देने के अधिकार पर आंच न आए।

अब यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाता है। लेकिन इस सुनवाई ने एक बार फिर आधार और वोटर आईडी लिंक करने के मुद्दे को राष्ट्रीय बहस का विषय बना दिया है।
 

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