Up kiran,Digital Desk : दोस्तों, कर्नाटक की राजनीति में इन दिनों जबरदस्त ड्रामा चल रहा है। अगर आप सोच रहे हैं कि वहां सब ठीक है, तो आप गलत हैं। कांग्रेस सरकार के 5 साल के कार्यकाल का आधा सफर (ढाई साल) 20 नवंबर को पूरा हो चुका है। बस इसी तारीख का इंतजार था, क्योंकि अब फिर से वह सवाल खड़ा हो गया है जिसने 2023 में शपथ ग्रहण के वक्त सुर्खियां बटोरी थीं— "क्या अब डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलेगी?"
इस सियासी गरमागर्मी पर अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का बड़ा बयान आया है और उधर उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने सोशल मीडिया पर कुछ ऐसा लिख दिया है जिससे पार्टी हाईकमान भी सोच में पड़ सकता है। आइए, आसान भाषा में समझते हैं पूरा माजरा।
मल्लिकार्जुन खड़गे का प्लान क्या है?
बंगलूरू में पत्रकारों ने जब खड़गे जी से सीएम बदलने को लेकर सवाल पूछा, तो उन्होंने बहुत सधे हुए अंदाज में जवाब दिया। उन्होंने साफ किया कि यह फैसला अकेले नहीं होगा। खड़गे ने कहा, "मैं सबको बुलाऊंगा और हम बैठकर चर्चा करेंगे। इस बैठक में राहुल गांधी भी होंगे। मुख्यमंत्री (सिद्धारमैया) और उपमुख्यमंत्री (शिवकुमार) भी मौजूद रहेंगे। पूरी हाईकमान की टीम साथ मिलकर ही कोई आखिरी फैसला लेगी।"
यानी अभी दिल्ली दरबार में एक बड़ी 'पंचायत' होने वाली है, जहाँ तय होगा कि सिद्धारमैया कुर्सी पर बने रहेंगे या डीके शिवकुमार को मौका मिलेगा।
शिवकुमार का 'सीक्रेट मैसेज': "वादा तो वादा होता है"
इस पूरी कहानी में असली ट्विस्ट डीके शिवकुमार के एक सोशल मीडिया पोस्ट ने ला दिया है। शिवकुमार 29 नवंबर को सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली आ रहे हैं, लेकिन उससे ठीक पहले गुरुवार को उन्होंने एक दमदार बात लिखी।
उन्होंने पोस्ट में लिखा, "वचन (वादा) की ताकत ही दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है। इंसान ने जो कह दिया, उस पर कायम रहना चाहिए—चाहे वो कोई जज हो, राष्ट्रपति हो या मैं खुद ही क्यों न होऊं।"
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह सीधा इशारा पार्टी हाईकमान की तरफ है। चुनाव के बाद चर्चा थी कि सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच ढाई-ढाई साल सत्ता बांटने का समझौता हुआ था। अब शिवकुमार शायद उसी 'वादे' की याद दिला रहे हैं।
पार्टी के अंदर ही बज रहे अलग सुर
इस कुर्सी की लड़ाई में पार्टी के बाकी नेता भी कूद पड़े हैं। कांग्रेस विधायक केएन राजन्ना तो गुस्से में यहाँ तक बोल गए कि अगर रोज-रोज का नेतृत्व का झगड़ा खत्म नहीं हो रहा, तो विधानसभा भंग करके दोबारा चुनाव करवा लेने चाहिए।
राजन्ना ने वैसे तो सिद्धारमैया को पूरा कार्यकाल देने की वकालत की, लेकिन यह भी कह दिया कि अगला विकल्प डीके शिवकुमार नहीं, बल्कि गृह मंत्री डॉ. जी. परमेश्वर होने चाहिए। यह बयान आग में घी डालने जैसा है।
सिद्धारमैया क्या कह रहे हैं?
मौजूदा सीएम सिद्धारमैया इन बातों से बेपरवाह नजर आ रहे हैं। उन्होंने इन खबरों को महज 'बेवजह की बहस' बताया है। उनका खेमा मानता है कि सीएम नहीं बदलेंगे। लेकिन सूत्रों का कहना है कि आने वाले कुछ दिन कर्नाटक की राजनीति के लिए बेहद अहम होने वाले हैं। सबकी नजरें दिल्ली में होने वाली उस बैठक पर टिकी हैं जहाँ राहुल और खड़गे फैसला सुनाएंगे।
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