Up kiran,Digital Desk : भ्रष्टाचार के खिलाफ कर्नाटक में आज सुबह एक बहुत बड़ी कार्रवाई देखने को मिली है। तारीख है 25 नवंबर 2025, मंगलवार। जब लोग अपनी सुबह की शुरुआत कर रहे थे, ठीक उसी वक्त कर्नाटक लोकायुक्त (Lokayukta) की टीमों ने राज्य के अलग-अलग हिस्सों में एक साथ धावा बोल दिया।
लोकायुक्त को शक था कि कुछ सरकारी अधिकारियों ने अपनी जायज कमाई से कई गुना ज्यादा संपत्ति जमा कर ली है (Disproportionate Assets Case)। इसी सिलसिले में आज एक साथ 10 अधिकारियों के घरों और दफ्तरों पर छापेमारी की गई है।
पूरे राज्य में मचा हड़कंप
यह कार्रवाई किसी एक शहर तक सीमित नहीं थी। लोकायुक्त के अधिकारियों ने एक ही समय पर कई जिलों में अपनी टीमें भेजीं। सुबह तड़के शुरू हुई इस छापेमारी ने भ्रष्ट अधिकारियों को संभलने का मौका ही नहीं दिया। अफसर यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इन लोगों के पास इतना पैसा और प्रॉपर्टी आखिर आई कहां से।
किन अफसरों के दरवाजे पर पहुंची जांच एजेंसी?
लोकायुक्त ने जिन 10 लोगों पर शिकंजा कसा है, वे अलग-अलग विभागों में अच्छी पोस्ट पर बैठे हैं। आइए जानते हैं ये कौन हैं:
- बेंगलुरु: आरटीओ (RTO) ऑफिस, इलेक्ट्रॉनिक सिटी के अधीक्षक कुमारस्वामी पी. के ठिकानों पर जांच चल रही है।
- मंड्या: टाउन नगर पालिका के चीफ अकाउंट ऑफिसर (लेखा अधिकारी) पुट्टास्वामी सी.।
- बीदर: अपर कृष्णा प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर प्रेम सिंह।
- मैसूरु: हूटगली नगर पालिका के रेवेन्यू इंस्पेक्टर (राजस्व निरीक्षक) रामास्वामी सी.।
- धारवाड़: कर्नाटक यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर सुभाष चंद्र।
- धारवाड़: हूइलगोल स्थित पशु चिकित्सा क्लिनिक के सीनियर वेटरनरी एक्जामिनर सतीश।
- हावेरी: यहां प्रोजेक्ट डायरेक्टर ऑफिस में तैनात एग्जीक्यूटिव इंजीनियर शेखप्पा पर गाज गिरी है।
- शिवमोग्गा: सिम्स (SIMS) मेडिकल कॉलेज में फर्स्ट डिवीजन असिस्टेंट लक्ष्मीपति सीएन।
- दावणगेरे: कृषि बिक्री डिपो (APMC) के असिस्टेंट डायरेक्टर प्रभु जे.।
- मडिकेरी: पीडब्ल्यूडी (PWD) विभाग के असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर गिरीश डी.एम.।
अब आगे क्या होगा?
फिलहाल खबर लिखे जाने तक छापेमारी जारी है। लोकायुक्त के सूत्र बता रहे हैं कि अधिकारियों के घरों से क्या-क्या मिला है—जैसे नकद, गहने या प्रॉपर्टी के कागज—इसकी पूरी जानकारी ऑपरेशन खत्म होने के बाद दी जाएगी। लेकिन जिस पैमाने पर यह रेड हुई है, उससे इतना तो तय है कि कई बड़े खुलासे हो सकते हैं।
आम जनता के लिए यह खबर राहत देने वाली है क्योंकि सरकारी दफ्तरों में फैले भ्रष्टाचार से हर कोई परेशान रहता है। इस कार्रवाई ने एक कड़ा संदेश दिया है कि 'पब्लिक का पैसा' खाने वालों की अब खैर नहीं।
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