img

Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक में 13 नदियों को जोड़कर एक नया जलमार्ग बनाने की योजना पर पर्यावरणविदों ने गहरी चिंता जताई है। नेशनल एन्वायर्नमेंटल केयर फेडरेशन (NECF) नाम की संस्था ने चेतावनी दी है कि यह प्रोजेक्ट राज्य की नदियों और पर्यावरण के लिए "मौत की घंटी" साबित हो सकता है।

यह प्रोजेक्ट, जिसे सागरमाला परियोजना का हिस्सा बताया जा रहा है, कर्नाटक की कई प्रमुख नदियों जैसे काली, गंगावली (बेदती), अघनाशिनी, शरवती, नेत्रावती, और कावेरी को आपस में जोड़ेगा। इसका मकसद एक ऐसा जलमार्ग बनाना है जिसमें जहाज और स्टीमर चल सकें। इसके लिए नदियों को गहरा किया जाएगा, उन्हें सीधा किया जाएगा और जगह-जगह बांध बनाए जाएंगे।

क्यों है यह प्रोजेक्ट खतरनाक: NECF के महासचिव एच. दत्तात्रेय ने इस योजना पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह न केवल पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि स्थानीय समुदायों की जिंदगी भी बर्बाद कर देगा। उन्होंने बताया कि इस योजना के बारे_ स्थानीय लोगों, किसानों और मछुआरों से कोई सलाह नहीं ली गई है, जो सीधे तौर पर इससे प्रभावित होंगे।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रोजेक्ट कई गंभीर समस्याएं खड़ी कर सकता है:

पर्यावरण का विनाश: नदियों को गहरा करने और उनके रास्ते बदलने से नदी के किनारे रहने वाले जीव-जंतु और वनस्पतियां खत्म हो जाएंगी। यह पूरे इकोसिस्टम को बर्बाद कर देगा।

बाढ़ का खतरा: नदियों के प्राकृतिक बहाव के साथ छेड़छाड़ करने से आसपास के इलाकों में बाढ़ का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा।

समुद्र का खारापन बढ़ेगा: नदियों का मीठा पानी जब समुद्र में मिलना कम हो जाएगा, तो समुद्र का खारा पानी जमीनी इलाकों में घुसने लगेगा, जिससे खेती और पीने का पानी दोनों खराब हो जाएंगे।

मछली पालन पर असर: इस प्रोजेक्ट से मछलियों का जीवन चक्र बिगड़ जाएगा, जिससे लाखों मछुआरों की रोजी-रोटी छिन सकती है।

लोगों का विस्थापन: जलमार्ग के रास्ते में आने वाले गांवों और बस्तियों को उजाड़ दिया जाएगा, जिससे हजारों लोग बेघर हो जाएंगे।

पहले भी जताई गई थी चिंता: यह पहली बार नहीं है जब ऐसी योजनाओं का विरोध हुआ है। इससे पहले नेत्रावती नदी के डायवर्जन प्रोजेक्ट पर भी काफी विवाद हुआ था, जिसे लेकर स्थानीय लोगों और एक्सपर्ट्स ने भारी विरोध जताया था। अब इस नए प्रोजेक्ट को लेकर भी वैसी ही चिंताएं सामने आ रही हैं।

NECF ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और अन्य संबंधित मंत्रियों को पत्र लिखकर इस मामले में तुरंत दखल देने की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार को इस विनाशकारी प्रोजेक्ट को मंजूरी देने से पहले इसके पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों का गहराई से अध्ययन करना चाहिए।

अगर सरकार ने इन चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया, तो कर्नाटक की जीवनदायिनी नदियां सिर्फ नक्शे पर ही रह जाएंगी।